संवत् 2081 का श्री सिद्धिदात्री पंचांग , श्री सिद्धिदात्री ज्योतिष एवं रत्न केन्द्र,त्रिवेणी घाट,ऋषिकेश श्री सिद्धिदात्रीं पंचांग कार्यालय द्वारा प्रकाशित 60 वर्षों का सूक्ष्म दृग्गणित युक्त संवत 2041 से 2100 तक का श्री पीतांबर पंचांग एवं फलितज्योतिष सार

ज्योतिषफल - भाग्योदय, कर्म, भविष्य,
चरित्र एवं जीवन को जानने का सर्वोत्तम मार्ग है‌‍‌।


श्री सिद्धिदात्री पंचांग के संपादक पंडित विनोद

बिजल्वाण द्वारा आंवला न्यूज़ चैनल के चीफ एडिटर को दिया गया इंटरव्यू

हमारे बारे में

एकमेवेदृशं कर्म कर्तुमापतितं क्वचित् | जन्मायुशतेनापि यत्फलं भुज्यते न वा

About Shri Pitamber Ji

यह ज्योतिषफल वेबसाइट जोकि पूर्व में श्री पीतांबर ज्योतिष के नाम से है मैं अपने पूज्य पिता राज ज्योतिषी वैदिक पंडित पीतांबर दत्त बिजल्वाण ज्योतिषरत्न दैवज्ञभूषण आयुर्वेदाचार्य की स्मृति में प्रकाशित कर रहा हूं । पूज्य पिताजी की स्मृति में 60 वर्ष का श्री पीतांबर पंचांग एवं फलित ज्योतिष सार ग्रंथ प्रकाशित कर चुका हूं जिसमें की सन 1984 संवत 2041 से संवत 2100 सन 2044 का पंचांग एवं फलित ज्योतिष सार दिया गया है साथ ही प्रतिवर्ष श्री सिद्धिदात्री पंचांग भी प्रकाशित किया जाता है ।ज्योतिष के जिज्ञासुओं के लिए जन्मपत्रिका तत्व बोध भी प्रकाशित की गई है। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय मित्र राष्ट्रों की विजय के लिए दिल्ली में एक यज्ञ हुआ था उस यज्ञ के उपरांत हिटलर की सेना हारने लगी थी एवं मित्र राष्ट्रों की विजय हुई ।उस यज्ञ को एक सफलतम यज्ञों में माना जाता है । उस समय उस यज्ञ पर ₹7 लाख व्यय आया था । आज वैसा यज्ञ करने में लगभग 100 करोड रुपए का खर्च आएगा। जिस पांडुलिपि से वह यज्ञ संपन्न कराया गया था वह मेरे स्वर्गीय पूज्य पिता राजज्योतिषी वैदिक पंडित पितांबर दत्त जी ने ही लिखी थी उस समय उन्होंने 2 पांडुलिपियों तैयार की थी । उक्त पांडुलिपि की लगभग 80 वर्ष पूर्व लिखी गई एक हस्तलिखित प्रतिलिपि मेरे पास आज भी सुरक्षित ह ।तत्कालीन नरौली रियासत के राजा पूज्यपिताजी को हाथी में बैठा कर बैंड बाजों के साथ अपने महल में ले गए थे। विश्वास है इस वेबसाइट के द्वारा जनसाधारण के अतिरिक्त पंडित भी लाभ उठा सकेंगे।

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ज्योतिष शास्त्र का महत्व

शब्द शास्त्रं मुखं ज्योतिषं चक्षुषी स्रोत्रमुक्तं निरुक्तं कल्पः करौ । यातु शिक्षास्य वेदस्य सा नासिका पाद पदम् द्वयं छंद आद्दै बुद्ध्धैः।। वेद पुरुष के 6 अंगों में ज्योतिष शास्त्र को नेत्र होने के कारण मुख्य अंग माना गया है। क्योंकि वेद यज्ञ में प्रवृत्ति करते हैं एवं यज्ञ दिशा एवं काल के आधीन हैं । दिशा एवं काल का ज्ञान ज्योतिष के बिना संभव नहीं है इसलिए ज्योतिष प्रधान अंग है। ज्योतिष शास्त्र अत्यंत प्राचीन शास्त्र है एवं इसका क्रमिक विकास समय के साथ-साथ हो रहा है ।हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने भौतिक सुखों की प्राप्ति निर्विघ्नं प्राप्त करने हेतु जहां मुहूर्त ,जातक शास्त्रों की रचना करी वही पारलौकिक मृत आत्माओं की तृप्ति के लिए श्राद्ध ,पितृ यज्ञ का भी मार्ग बताया । अपने मनुष्य जीवन के बाद के पारलौकिक मार्ग को सुखमय बनाने हेतु यज्ञ ,अनुष्ठान ,उपासना मार्ग का अनुसंधान भारतीय महर्षियों की मानवता को विलक्षण देन है। सौभाग्य से अब तक के जीवन में मुझे कई दिव्य महात्माओं के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ और यह सौभाग्य भी मुझे अपने ज्योतिष के गुरु पूज्य स्वर्गीय पिता जी की दी गई ज्योतिष शिक्षा के कारण ही प्राप्त हुआ । मैंने पाया कि सिद्ध महात्मा भी ज्योतिष शास्त्र का बहुत आदर करते हैं । ज्योतिष शास्त्र के तीन विभाग सिद्धांत , संहिता और होरा हैं । जितने भी धार्मिक ,मुहूर्त ,जातक, जन्मपत्रिका आदि से संबंधित गणनाएं होती हैं । वह सभी प्रति वर्ष प्रकाशित पंचांग में दी जाती हैं । कालांतर में ग्रहों की गति में अंतर आने से गणना में संशोधन करना पड़ता है।

श्री सिद्धिदात्री पंचांग

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पंडित वर्ग के लिए विचारणीय विषय

आगामी संवत्सर का नाम आनंद संवत्सर होना चाहिए इस वेबसाइट के ज्योतिषफल के अंतर्गत आनंद संवत्सर का निर्णय गणित के आधार पर सिद्ध किया गय है । इसका अवलोकन वर्तमान में आरंभ होने वाले आनंद संवत्सर में प्रमुख रूप से संकल्प हेतु विचारणीय है । क्योंकि कई पंचांगों में प्राचीन गणित के अनुसार संवत 2078 में राक्षससंवत्सर लिखा है जबकि वही पंचांग नवीन गणित से बन रहे हैं अतः प्राचीन गणित से निर्णय करना अशास्त्रीय है काशी के श्री ह्रृषीकेश पंचांग तथा श्री महावीर पंचांग एवं श्री ऋषिकेश पंचांग का उल्लेख करते हुए श्री बद्रीनाथ वेद वेदांग संस्कृत महाविद्यालय जोशीमठ के ज्योतिष विभाग के ज्योतिष प्रवक्ता

डॉ प्रदीप सेमवाल

जो कि सुप्रसिद्ध अनुसूया मंदिर मंडल जिला चमोली के मुख्य पुजारी भी हैं ने उपरोक्त पंचांग का उल्लेख करते हुए लिखा है कि संवत 2078 सन 2021-22 में आनंद नाम का संवत्सर है

श्री बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी श्री भुवन चंद्र उनियाल ज्योतिषाचार्य जी के विचार--

शुक्र के अस्त में शुभ कार्य

- संवत 2077 सन 2020-21 ईसवी के श्री सिद्धिदात्रीपंचांग में शुक्र के अस्त में गृहारंभ एवं गृहप्रवेश के मुहूर्त लगाए गए है । इसका शास्त्रीय प्रमाण आगे दिया है । बृहद्राजमार्तंड नामक ग्रंथ में लिखा है कि शुक्र के अस्त में केवल विवाह उपनयन एवं यात्रा नहीं करनी चाहिए । केवल इन कार्यों का ही शुक्र के अस्त में निषेध है । अन्य कार्य जैसे गृहारंभ, गृहप्रवेश आदि में शुक्र अस्त का दोष नहीं होता है। सर्वाणि शुभकर्माणि कूर्यादस्तंगते सिते। विवाहं मेखला बंन्न्धं यात्रान्च परिवर्जयेत्।। अर्थात शुक्र के अस्त में विवाह उपनयन तथा यात्रा वर्जित है एवं अन्य सभी शुभ कार्य किए जाते हैं। इस प्रकार शास्त्रीय प्रमाणों के आधार पर ही श्री सिद्धिदात्री पंचांग में मुहूर्तों का निर्णय किया जाता है ।

वेध दोष में विवाह मुहूर्त-

संवत 2078 सन 2021-22 ईसवी के श्री सिद्धिदात्रीपंचांग में जहां पर वेध दोष का परिहार मिला है उस दिन विवाह मुहूर्त लगाए गए हैं । मुहूर्तमार्तंड ग्रंथ तथा बृहददैवज्ञरंजन ग्रंथों में उद्वाहतत्व नामक ग्रंथ का उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि लग्न पर शुभ ग्रह की दृष्टि होने पर अथवा चंद्रमा पर शुभ ग्रह की दृष्टि होने पर या लग्न शुभ ग्रह युक्त होने पर अथवा लग्न का स्वामी एकादश भाव में स्थित होने पर वेध दोष नहीं होता है । वशिष्ठ जी के वचनों में भी वेध दोष के उपरोक्त वचनों की पुनरावृति वेध दोष के परिहार के संदर्भ में है। मुहूर्त मार्तंड ग्रंथ में वेध दोष परिहार का श्लोक इस प्रकार से दिया है - लग्नेशे भवगेथवा शशिनि सदृटेष्टे शुभेवांगंगे होरायां च शुभस्य वाव्यध भयंनास्तीति पूवे जगु:।। इसी शास्त्रीय आधार पर संवत 2078 सन 2021-22 में 22 अप्रैल ,19 मई ,20 मई ,16 जून, 13 जुलाई ,18 जुलाई, 15 जनवरी 2022 , 20 जनवरी ,16 फरवरी एवं 17 फरवरी को शुभ विवाह मुहूर्त्त लगाए गए हैं । इन विवाह मुहूर्तो में चंद्रमा पर गुरु की शुभ दृष्टि होने से वेध दोष नहीं है ।अतः यह विवाह मुहूर्त शुद्ध हैं।

टैरो कार्ड से भविष्य जाने

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बिना जन्मपत्रिका के अपने प्रश्नों के सटीक उत्तर जानिए जर्मनटाउन अमेरिका निवासी सुप्रसिद्ध टैरो कार्ड रीडर

श्रीमती शामली डोभाल

से- WhatsApp No: +91 8826535095 US Mob.Number: +1 2083017061

श्री सिद्धिदात्री पंचांग की भविष्यवाणियां

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ज्योतिष मानव को बेहतर जीवन और भविष्य के लिए मदद करता है भविष्य और उसके जीवन को जानने के लिए, हमें अपने कुंडली की जांच करना होगा। जन्मकुंडली हमारे भविष्य के बारे में बताता है और बेहतर भविष्य के लिए हमें मार्गदर्शन करता है। हमारे जन्म कुंडली को देखने के लिए हमें जन्म की तारीख, जन्म के समय और जन्म के विवरण की आवश्यकता होती है।

जातक ने पूर्व जन्म में जैसा भी शुभाशुभ कर्म किया है उसका फल कब और कैसे प्राप्त होगा ? ज्योतिष का फलित स्कन्ध यही विवरण प्रस्तुत करता है | मानव के कर्मफल के परिपाक समय का ज्ञान प्राप्त करने के लिए मनीषियों ने ज्योतिष में दशा पद्धति का आविष्कार किया, जिससे कि यह जाना जा सके कि अमुक ग्रह का शुभाशुभ फल कब मिलेगा इसका निर्धारण दशा पद्धति करती है, कब और कैसा फल मिलेगा यह ग्रह कि स्थिति पर निर्भर करता है |

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