श्री रामदयाल मैदुली

सिद्धान्तज्योतिषाचार्य(वाराणसी)

सम्मति श्री आचार्य रामदयाल मैदुली जी

ज्योतिष पंडित श्री विनोद बिजल्वाण जी ज्योतिषविषय के प्रसिद्ध गणितफलित मर्मज्ञ हैं यतः इनके पूज्य पिता स्व पं0 पीताम्बरदत्त बिजल्वाण राजज्योतिषी व इनके पूर्वज पंचागों के गणक एवं सम्पादक रहे हैं। अतः ज्योतिषज्ञान के इच्छुकजन इनके ज्योतिषविषयक लेखों से लाभान्वित होंगे साथ ही संस्कृतविद्यालयों/ महाविद्यलयों के समस्त छात्र इनके ज्ञान से लाभान्वित होंगे ऐसी आशा है।ईश्वर से श्री बिजल्वाण जी के यशस्वी जीवन एवं दीर्घायुष्य की प्रार्थना करता हूॅ।

आचार्य रामदयाल मैदुली

सिद्धान्तज्योतिषाचार्य(वाराणसी) पूर्व प्राचार्यः श्री बदरीनाथवेदवेदांगस्नातकोत्तरसंस्कृत महाविद्यालयः जोशीमठ । जनपद- चमोली उत्तराखण्ड

नीचे विभिन्न स्थानों के इष्टकाल बनाने के 8 उदाहरण दिए गए हैं। विश्वास है इन उदाहरणों का ठीक प्रकार से अवलोकन करने एवं अभ्यास करने से भारत के किसी भी स्थान का इष्टकाल बनाने की विधि ज्योतिष के जिज्ञासुओं को ज्ञात हो जाएगी। इसके उपरांत आगे तात्कालिक ग्रहस्पष्ट करने की विधि दी जाएगी।

पं. विनोद बिजल्वाण संपादकः श्री सिद्धिदात्री पंचांग

इष्टकाल बनाना क्यों आवश्यक है ?

जन्म पत्रिका निर्माण में या किसी भी शुभ मुहूर्त के लग्न निर्धारण में अथवा वर्षफल आदि निर्माण में लग्न निर्धारण करने हेतु सर्वप्रथम इष्टकाल की आवश्यकता होती है। जिस स्थान में जातक का जन्म हो उस स्थान के सूर्योदय से जातक के जन्म समय तक जितना समय व्यतीत हुआ हो उसको घटी पलों में व्यक्त करने को ही इष्टकाल कहते हैं। एक घंटे में 2 घटी 30 पल होते हैं तथा 1 मिनट में 2 पल 30 वीपल होते हैं। 24 मिनट की 1 घटी होती है।

इष्टकाल साधन

यहां पर हम दो प्रकार से इष्टकाल बनाने की विधि बता रहे हैं । एक तो यदि पंचांग में दिया गया सूर्योदय स्टैंडर्ड टाइम में है तो उसकी विधि अलग होगी एवं दूसरा यदि पंचांग में दिया गया सूर्योदय स्थानिक काल में है तो उसकी विधि अलग होगी। इस प्रकार दोनों प्रकार की विधियों का आगे उदाहरण सहित वर्णन किया गया है। संवत 2077,2078 तथा संवत 2079 के श्री सिद्धिदात्री पंचांग में स्टैंडर्ड टाइम ,व स्थानिक काल में सूर्योदय दिया गया है । पंचांग यहां उदाहरणों में श्री सिद्धिदात्री पंचांग संवत 2078 का तथा श्री पीतांबर पंचांग जो कि संवत 2041 से संवत 2100 तक का 60 वर्षीय पंचांग है, का आगे के विभिन्न उदाहरणों में उपयोग किया गया है।

श्री पीतांबर पंचांग दिनांक 2 अप्रैल सन् 1984 ईस्वी से दिनांक 29 मार्च सन् 2044 ईस्वी तक का है तथा इस पंचांग में भविष्य के विवाह मुहूर्त एवं जन्मपत्रिका में लिखने योग्य फलादेश की मुख्य बातें भी दी गई हैं ।दैनिक ग्रहस्पष्ट युक्त सूक्ष्म दृग्गणित से तैयार 1776 पेज का यह श्री पीतांबर पंचांग ज्योतिष का कार्य करने वालों के लिए एवं विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी है। मूल्य ₹ 1550/

जन्मपत्रिका, वर्षफल , प्रश्न लग्न या सूक्ष्म मूहूर्त प्रकरण में से कोई भी प्रकरण क्यों ना हो इष्टकाल का बनाना सूक्ष्मलग्न स्पष्ट साधन में पहली आवश्यकता है। इष्टकाल साधन की सूक्ष्म विधि का यहां वर्णन कर रहे हैं । यदि पंचांग में दिया गया सूर्योदय स्थानिक काल में है तो उससे इष्टकाल साधन की विधि- सर्वप्रथम जातक के जन्म समय को स्थानिक काल में परिवर्तित करते हैं । पंचांग में गते या अंग्रेजी तारीख की सीध में ऋणात्मक स्टैंडर्ड अंतर मिनट लिखे हैं। उन मिनटों को जन्म समय में से सदैव ऋण करना चाहिए तथा अक्षांश व रेखांश सारणी जो कि श्री पीतांबर पंचांग के पृष्ठ संख्या 1742 से 1745 में दी गई है तथा श्री सिद्धिदात्री पंचांग संवत् 2078 एवं संवत् 2079 के पृष्ठ संख्या 88 से 91 में दी गई है, में से अभीष्ट जन्म स्थल या उसके निकटवर्ती जन्म स्थल के सामने लिखे गए देशांतर मिनट सेकंड भी चिन्हानुसार धन + होने पर जोड़ने तथा ऋण - होने पर जन्म समय में से घटाने पर स्थानिक जन्म समय आता है। श्री पीतांबर पंचांग एवं श्री सिद्धिदात्री पंचांग गढ़वाल के अक्षांश 30 अंश 22 कला पर निर्मित हैं । अतः यदि 30 अक्षांश के निकट का जन्म स्थल है तो स्थानिक जन्म समय में पंचांग में दिया गया सूर्योदय घटाना चाहिए तथा जो शेष आये उसका ढाई गुणा करने पर इष्टकाल घटी पलों में आता है। स्मरण रहे कि यदि जन्म स्थान के अक्षांश 30 से कम या अधिक (अक्षांश 29 या कम एवं अक्षांश 31 या अधिक हों) बहुत अंतर से हों तो पंचांग के सूर्योदय को भी चर संस्कार से संस्कारित करना आवश्यक होता है । दोनों ही प्रकार के इष्टकालों को उदाहरण से स्पष्ट करते हैं ।

30 अक्षांश के निकटवर्ती स्थानों के इष्टकाल साधन के उदाहरण

उदाहरण 1-

किसी बालक का जन्म वैशाख 2 गते बृहस्पतिवार 15 अप्रैल 2021 संवत् 2078 को दिन में 12 बजकर 03 मिनट पर देहरादून में हुआ । उक्त दिन श्री पीतांबर पंचांग के पृष्ठ संख्या 953 में एवं श्री सिद्धिदात्री पंचांग के पृष्ठ संख्या 47 में 15 अप्रैल की सीध में दिए गए स्टैंडर्ड अंतर ऋण - 16 मिनट को जन्म समय 12 बजकर 03 मिनट में घटाने पर 11 घंटा 47 मिनट आए । श्री पीतांबर पंचांग के पृष्ठ संख्या 1743 में देहरादून का देशांतर ऋण - 1 मिनट 48 सेकंड दिया है (श्री सिद्धिदात्री पंचांग में भी) इसे 11 घंटा 47 मिनट में हीन करने पर स्थानिक जन्म समय 11 घंटा 45 मिनट 12 सेकंड आया । पंचांग पृष्ठ 1743 में देहरादून के अक्षांश 30 कला 19 पंचांग के अक्षांश के निकट है। अतः पंचांग में दिया गया सूर्योदय काल ही उपयोग में लाया जा सकता है ।उक्त दिवस का पंचांग में सूर्योदय 5 बजकर 37 मिनट दिया है । इसे स्थानिक जन्म समय 11 घंटा 45 मिनट 12 सेकंड में से हीन किया तो फल 6 घंटा 8 मिनट 12 सेकंड आया इसका ढाई गुणा करने पर शुद्ध इष्टकाल घटी 15 पल 20 विपल 30 आया ।

उदाहरण 2 -

किसी जातक का जन्म 24 जुलाई सन् 2021 ईस्वी को सहारनपुर में सायं 5 बजकर 12 मिनट पर हुआ । यहां यह स्मरण रखना चाहिए कि दिन के 1 बजे से रात्रि के 12 बजकर 59 मिनट 59 सेकंड तक के जन्म समय में 12 घंटे युक्त (+धन) जोड़ने चाहिए तथा रात्रि 1:00 बजे से सूर्योदय के पूर्व समय में 24 घंटे युक्त करने चाहिए। यहां उदाहरण में दिन के 1:00 बजे के बाद का समय होने से जन्म समय 5:12 में 12 घंटे युक्त करने से जन्म समय 17 घंटे 12 मिनट हुआ। इसमें श्री सिद्धिदात्री पंचांग संवत 2078 के पृष्ठ 53 (आषाढ़ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा शनिवार) पर 24 जुलाई श्रावण 9 गते को स्टैंडर्ड अंतर मिनट 22 को हीन करने पर 16 घंटा 50 मिनट हुआ । सहारनपुर का देशांतर पृष्ठ 90 में ऋण मिनट -3 मिनट 48 सेकंड दिया है। इसे चिन्हानुसार 16 घंटा 50 मिनट में हीन करने पर, घटाने पर 16 घंटा 46 मिनट 12 सेकंड स्थानिक काल में जन्म समय हुआ। सहारनपुर के अक्षांश 29 कला 58 श्री सिद्धिदात्री पंचांग जोकि गढ़वाल के अक्षांश पर निर्मित है के निकट के हैं। अतः सहारनपुर हेतु श्री सिद्धिदात्री पंचांग के स्थानिक सूर्योदय 5 घंटा 11 मिनट को स्थानिक जन्म समय घंटा 16 मिनट 46 सेकंड 12 में हीन किया, तो घटाने पर घंटा 11 मिनट 35 सेकंड 12 आया। इसका ढाई गुणा करने पर घटी 28 पल 58 इष्टकाल हुआ । स्मरण रहे कि परम- क्रांति के दिनों में जन्म स्थान 30 अक्षांश के निकट होने पर भी दो से छह पलों का अंतर इस इष्टकाल में संभव है। इसको पूर्ण शुद्ध करने के लिए अक्षांश के अंतर से जन्य चरान्तर संस्कार सूर्योदय में करना अपेक्षित होता है। जिसको आगे उदाहरण में स्पष्ट करेंगे ।

उदाहरण 3-

किसी जातक का जन्म चमोली गढ़वाल में 21 फरवरी 2022 की रात्रि 2 बजकर 18 मिनट पर हुआ । अंग्रेजी समय के अनुसार 22 फरवरी 2022 मंगलवार की प्रातः 2 बजकर 18 मिनट जन्म समय हुआ। ज्योतिष गणना में वार सूर्योदय से लिया जाता है । अतः 21 फरवरी सन् 2022 ईस्वी सोमवार फाल्गुन 9 गते लोग दे 9 गते को जन्म है । रात्रि 2 बजकर 18 मिनट में 24 घंटे युक्त (+धन) किए तो 26 घंटा 18 मिनट हुए। इसमें 21 फरवरी का स्टैंडर्ड अंतर मिनट 30 (श्री सिद्धिदात्री पंचांग पृष्ठ 68 संवत् 2078 फाल्गुन कृष्ण पंचमी को दिया है) हीन करने पर( घटाने पर ऋण करने पर ) 25 घंटा 48 मिनट आया। इसमें चमोली का देशांतर श्री सिद्धिदात्री पंचांग पृष्ठ 91 में धन +3 मिनट 24 सेकंड चिन्हानुसार जोड़ने पर घंटे 25 मिनट 51 सेकंड 24 हुए । चमोली के अक्षांश 30 के निकट होने से पंचांग में 21 फरवरी को स्थानिक काल में दिया गया पंचांग के पृष्ठ 68 के सूर्योदय घंटा 6 मिनट 25 हीन(घटाने) करने पर घंटा 19 मिनट 26 सेकंड 24 आए। इसका ढाई गुणा करने पर इष्टकाल घटी 48 पल 36 आया।

30 अक्षांश से अधिक दूरी के स्थानों के इष्टकाल साधन के उदाहरण

उदाहरण 4-

नंबर 4 दिनांक 10 दिसंबर सन 2021 ईस्वी, समय रात्रि 11 बजकर 10 मिनट ,स्थान मुंबई जन्म समय रात्रि के 11:10 में12 घंटे जोड़ने पर 23 घंटा 10 मिनट हुआ । श्री सिद्धिदात्री पंचांग संवत 2078 के पृष्ठ 63 में स्टैंडर्ड अंतर मिनट ऋण - 9 है। इसे 23 घंटा 10 मिनट में घटाया तो 23 घंटा 1 मिनट हुआ। पंचांग के पृष्ठ 90 में मुंबई के देशांतर ऋण 22 मिनट 40 सेकंड दिए हैं । इन्हें उपरोक्त 23 घंटा 1 मिनट में हीन(घटाने) करने पर 22 घंटा 38 मिनट 20 सेकंड स्थानिक काल में जन्म समय आया। पृष्ठ 63 में 10 दिसंबर को पंचांग का स्थानिक सूर्य उदय 6 घंटा 57 मिनट दिया है। पृष्ठ 21 में क्रांति सारणी में 10 दिसंबर की क्रांति दक्षिण 23 अंश है तथा पृष्ठ 90 में मुंबई के अक्षांश 18 अंश 55 कला दिए हैं। इन्हें सुविधा के लिए 19 अंश मान लिया । पंचांग के पृष्ठ 22 में दी गई चरान्तर मिनट संस्कार सारणी से अक्षांश 19 एवं क्रांति 23 के समसूत्र 24 मिनट लिखे हैं। पंचांग के पृष्ठ 21 में लिखा है कि यदि अभीष्ट स्थान के अक्षांश 30 से कम हों और सूर्य की क्रांति दक्षिण हो तो चरान्तर मिनट ऋण होते हैं। इस प्रकार पंचांग में दिए गए सूर्योदय 6:57 में 24 मिनट हीन करने पर घंटा 6 मिनट 33 मुंबई का सूर्य उदय स्थानिक काल में आया। स्थानिक जन्म समय 22 घंटा 38 मिनट 20 सेकंड में से मुंबई का स्थानिक सूर्योदय 6 घंटा 33 मिनट घटाने पर 16 घंटा 5 मिनट 20 सेकंड आया। इसका ढाई गुणा करने पर इष्टकाल 40 घटी 13 पल 20 विपल इष्टकाल आया।

उदाहरण 5-

दिनांक 16 जनवरी 2022 समय दिन के 2 बजकर 18 मिनट जन्म स्थान कोलकाता 2 बजकर 18 मिनट में 12 घंटे युक्त किए तो 14 घंटा 18 मिनट आया। इसमें उक्त दिवस का स्टैंडर्ड अंतर ऋण 26 मिनट हीन करने पर 13 घंटा 52 मिनट आया। पंचांग के पृष्ठ 88 से कोलकाता का देशांतर धन +39 मिनट 32 सेकंड दिया है । उसे उपरोक्त 13 घंटा 52 मिनट में युक्त करने पर 14 घंटा 31 मिनट 32 सेकंड स्थानिक जन्म समय आया। पंचांग के पृष्ठ 90 से कोलकाता के अक्षांश 22 कला 35 दिए हैं तथा पृष्ठ 21 में उक्त दिवस में क्रांति दक्षिण 21 अंश दी है पृष्ठ 22 से अक्षांश 22 कला 35 एवं क्रांति दक्षिण 21 के सम सूत्र लेने पर 14 मिनट ऋण़ आये। यहां स्मरण रहे कि अक्षांश 22 और 23 के मध्य के मिनट के चरान्तर मिनट 13 और 15 के मध्य का ऋण 14 मिनट हुआ क्योंकि अक्षांश 30 से कम है तथा क्रांति दक्षिण है इसलिए यह चरान्तर मिनट पंचांग के पृष्ठ 65 में दिए गए सूर्योदय 6 घंटा 52 मिनट में से 14 मिनट हीन करने पर 6 घंटा 38 मिनट कोलकाता का स्थानीक काल में सूर्योदय आया। इस सूर्योदय को उपरोक्त स्थानिक जन्म समय 14 घंटा 31 मिनट 32 सेकंड में हीन करने पर घंटा 7 मिनट 53 सेकंड 32 आए । इसका ढाई गुणा करने पर 19 घटी 43 पल 50 विपल इष्टकाल आया।

भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के सूर्योदय से इष्टकाल बनाने की विधि

इससे ऊपर के 5 उदाहरणों में हमने स्थानिक सूर्योदय काल से इष्टकाल बनाने की विधि का वर्णन किया है। अब यहां पर हम भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के सूर्योदय से इष्टकाल बनाने की विधि का वर्णन करते हैं। जो समय हम दैनिक उपयोग में लाते हैं तथा जो घड़ियों और मोबाइल फोन एवं टीवी आदि में समय दिया रहता है वही भारतीय स्टैंडर्ड टाइम कहलाता है।इस विधि के अंतर्गत पंचांग में दिए गए स्टैंडर्ड सूर्योदय को जातक के जन्म स्थान, अभीष्ट स्थान के भारतीय समय के स्टैंडर्ड टाइम के सूर्योदय में परिवर्तित करना पड़ता है। संवत् 2077 ,संवत् 2078 एवं संवत् 2079 के श्री सिद्धिदात्री पंचांग में स्थानिक समय एवं भारतीय स्टैंडर्ड टाइम दोनों प्रकार के समय में सूर्योदय दिया गया है ।स्थानीक सूर्योदय से इष्टकाल ऊपर बताया जा चुका है। अब स्टैंडर्ड समय के सूर्योदय से इष्टकाल बनाने के लिए जन्म समय में कोई भी संस्कार नहीं करना पड़ता है। केवल सूर्योदय में ही संस्कार करते हैं। सर्वप्रथम अक्षांश आदि सारणी से देशांतर मिनट धन ऋण जैसा है लिखते हैं तथा इन देशांतर मिनटों को पंचांग में दिए गए स्टैंडर्ड टाइम के सूर्योदय में विपरीत संस्कार करते हैं। अर्थात यदि देशांतर मिनट ऋण हैं तो उनको पंचांग के सूर्योदय में धन करना पड़ेगा तथा यदि वह धनात्मक है तो उनको पंचांग में दिए गए स्टैंडर्ड सूर्योदय में ऋण करना होगा। यह देशांतर संस्कार संस्कृत स्टैंडर्ड सूर्योदय अभीष्ट स्थान का होगा तथा इसमें अभीष्ट स्थान का अक्षांश लेकर तथा क्रांति सारणी से अभीष्ट दिन की क्रांति उत्तर या दक्षिण जैसी हो उठाते हैं तथा चरान्तर सारणी से अभीष्ट स्थान के अक्षांश एवं अभीष्ट दिन की क्रांति के समसूत्र चर मिनट दिए गए हैं वह लिख लेते हैं। यह चर मिनट ऊपर निकाले गए देशांतर संस्कार युक्त स्टैंडर्ड सूर्योदय में युक्त करने हैं या घटाएं जाएंगे इसका निर्णय इस प्रकार से किया जाता है । यदि जन्म स्थान के अक्षांश 30 से न्यून है और क्रांति उत्तर है तो चरान्तर मिनट सूर्य उदय में जोड़े जाएंगे तथा यदि क्रांति दक्षिण है तो चरान्तर मिनट उपरोक्त साधित सूर्योदय में घटाये जाएंगे तथा यदि जन्म स्थान के अक्षांश 30 से अधिक है तथा क्रांति उत्तर है तो उपरोक्त देशांतर संस्कार संस्कृत सूर्योदय में चरान्तर मिनट घटाये जाएंगे तथा यदि क्रांति दक्षिण है तो चरान्तर मिनट उपरोक्त साधित सूर्योदय में जोड़े जाएंगे। जिनको आगे उदाहरणों के द्वारा समझाया गया है।

उदाहरण 6-

किसी बालक का जन्म देहरादून में 14 अप्रैल 2020 को दिन में 12 बज कर 30 मिनट पर हुआ। क्योंकि देहरादून के अक्षांश 30 अक्षांश के निकट के हैं। अतः इसमें कोई चरान्तर संस्कार करने की आवश्यकता नहीं है। देशांतर सारणी में देहरादून के देशांतर ऋण -1 मिनट 44 सेकंड दिए गए हैं। स्वल्पान्तर से इसको 2 मिनट मान लिया। उनको पंचांग के सूर्योदय 5 घंटा 54 मिनट में विपरीत संस्कार अर्थात युक्त किया तो वह देहरादून का सूर्योदय स्टैंडर्ड टाइम में 5:56 आया। जन्म समय 12:03 बजे से सूर्योदय 5:56 घटाने पर घंटा 6 मिनट 7 आया। इसका ढाई गुणा करने पर 15 घटी 17 पल इष्टकाल आया।

उदाहरण 7-

किसी बालक का जन्म दिल्ली में 22 जून की रात्रि अर्थात 23 जून 2020 को रात्रि 12:34 पर हुआ उस दिन पंचांग में सूर्य उदय 5:19 लिखा है उस दिन पंचांग में 23 जून को क्रांति 23 उत्तर एवं दिल्ली के अक्षांश 28/38 के समसूत्र अनुपात से चर 4 मिनट आते हैं। इन्हें अक्षांश 30 से कम होने तथा क्रांति उत्तर होने के कारण 5 घंटा 19 मिनट सूर्योदय में इन 4 मिनट को युक्त किया तो 5 घंटा 23 मिनट आए । सारणी में दिल्ली के लिए देशांतर ऋण पांच मिनट लिखा है इन 5 मिनट को विपरीत संस्कार समय 5 घंटा 23 मिनट में युक्त किया तो 5 घंटा 28 मिनट दिल्ली का स्टैंडर्ड टाइम में सूर्योदय आया। यह ध्यान देने योग्य है कि रात्रि 12 बजे के बाद के जन्म समय में 12 घंटे जोड़ने पर 24 घंटा 34 मिनट हुआ। इसमें दिल्ली का सूर्योदय 5 घंटा 28 मिनट घटाने पर 19 घंटा 6 मिनट आया। इसका ढाई गुणा करने पर 47 घटी- 48 पल दिल्ली में जन्मे बालक का इष्टकाल हुआ।

उदाहरण 8-

किसी बालक का जन्म 9 अक्टूबर 2021 को उज्जैन में रात्रि 8:00 बजे हुआ। इसका इष्टकाल बनाने हेतु रात्रि के 8:00 बजे में 12 घंटे युक्त करने पर 20 घंटा 00 मिनट हुआ। श्री सिद्धिदात्री पंचांग संवत् 2078 के पृष्ठ 59 में 9 अक्टूबर तदनुसार अश्विन 23 गते शनिवार को सूर्योदय भारतीय स्टैंडर्ड टाइम में 6:18 लिखा है।पंचांग पृष्ठ 88 में उज्जैन के अक्षांश 23 अंश 11 कला तथा देशांतर ऋण -11 मिनट 8 सेकंड लिखा है। देशांतर ऋण -11 मिनट 8 सेकंड को पंचांग के सूर्य उदय 6 घंटे 18 मिनट में विपरीत संस्कार अर्थात धन+ युक्त किया तो 6 घंटे 29 मिनट 8 सेकंड देशांतर संस्कृत सूर्योदय आया।श्री सिद्धिदात्री पंचांग के पृष्ठ 21 में 9 अक्टूबर को रवि क्रांति 6 अंश दक्षिण दी है। पृष्ठ 22 में उज्जैन के अक्षांश 23 एवं रवि क्रांति 6 के समसूत्र देखने पर चरान्तर मिनट 4 प्राप्त हुए। इनके धन ऋण का निर्णय पंचांग के पृष्ठ 21 में लिखे अनुसार अक्षांश 30 से कम एवं क्रांति दक्षिण होने के कारण ऋण- होने के कारण पंचांग के उपरोक्त साधित देशांतर संस्कृत सूर्योदय 6 घंटे 29 मिनट 8 सेकंड में 4 मिनट हीन करने पर 6 घंटा 25 मिनट 8 सेकंड उज्जैन का भारतीय स्टैंडर्ड टाइम में सूर्य उदय आया। जातक के जन्म समय 20 घंटे 00 मिनट में पूर्व साधित उज्जैन के स्टैंडर्ड टाइम के सूर्योदय 6 घंटा 25 मिनट 8 सेकंड को हीन करने पर 13 घंटा 34 मिनट 52 सेकंड आए। इनका ढाई गुणा करने पर 33 घटी 57 पल 10 विपल (13/34/52+13/34/52+6/30/00+00/17/26=33/57/10) (१३/३४/५२ + १३/३४/५२ + ६/३०/०० + ००/१७/२६ = ३३/५७/१०) इष्टकाल आया।

तात्कालिक ग्रह स्पष्ट करने की विधि-

दिनांक 11 जून 2021 को चंद्रस्पष्ट एवं सूर्यस्पष्ट करके दिखाते हैं। बिना शुद्ध तात्कालिक सूर्यस्पष्ट के शुद्ध लग्नस्पष्ट किया जाना संभव नहीं होता है। सूर्योदय के समय तत्कालीन सूर्य स्पष्ट ही लग्न स्पष्ट होता है। दिनांक 11 जून 2021 को किसी बालक का जन्म दिन में 12 बजकर 10 मिनट पर हुआ। तात्कालिक ग्रह स्पष्ट करने में जन्म स्थान का प्रभाव स्टैंडर्ड टाइम में नहीं पड़ता है। श्री सिद्धिदात्री पंचांग में प्रातः 5 बजकर 30 मिनट स्टैंडर्ड टाइम के ग्रह स्पष्ट दिए रहते हैं। जन्म समय के घंटा 12 मिनट 10 में से पंचांग के ग्रह स्पष्ट का समय 5:30 घटाने पर 6 घंटा 40 मिनट हुए। संवत 2078 के श्री सिद्धिदात्री पंचांग के पृष्ठ 51 में 11 जून को चंद्रस्पष्ट 2 राशि 2 अंश 9 कला 51 विकला दिया है। उसके आगे 722 कला 14 विकला चंद्र की गति दी है। 722 कला को 60 से विभाजित करने पर 12 अंश 2 कला आता है। पंचांग के पृष्ठ 18 में ऊपर 6 अंश व बाईं और 40 कला के समसूत्र देखने पर 5563 संख्या प्राप्त हुई। यह संख्या उपर निकाले गए 6 घंटा 40 मिनट से प्राप्त हुई। चंद्र की गति 12 अंश 2 कला के समसूत्र पृष्ठ 17 में देखने पर 2998 संख्या प्राप्त हुई। इस प्राप्त संख्या में ऊपर प्राप्त संख्या 5563 को युक्त करने पर 8561 हुआ। इस संख्या के निकटतम संख्या को पुनः तात्कालिक ग्रह स्पष्ट करने की सारणी में पृष्ठ 17 में देखने पर ऊपर 3 अंश व बाई और 21 कला के सम सूत्र 8552 संख्या मिली जोकि 8561 के निकट है। अतः चंद्रमा का चालन 3 अंश 21 कला हुआ। क्योंकि चंद्र सदैव मार रहता है अतः इस चालन को 11 जून के पंचांग में दिए गए चंद्र स्पष्ट 2 राशि 2 अंश 9 कला 51 विकला में युक्त करने पर तात्कालिक चंद्रस्पष्ट 2 राशि 5 अंश 30 कला 51 विकला प्राप्त हुआ। 11 जून 2021 को सूर्य स्पष्ट 1 राशि 26 अंश 9 कला 22 विकला पंचांग में दिया है तथा इसके आगे सूर्य की गति 57 कला 22 विकला दी है। 6 घंटा 40 मिनट ऊपर हम निकाल चुके हैं। उसके समसूत्र संख्या 5563 है तथा सूर्य गति 57 कला के समसूत्र पृष्ठ 18 में 14025 संख्या प्राप्त हुई। इसे 5563 में युक्त करने पर 19588 संख्या प्राप्त हुई। पृष्ठ 17 में इस संख्या के निकटतम संख्या देखने पर 19542 प्राप्त हुआ। इसके समसूत्र 0 अंश 16 कला प्राप्त हुए। इनको 11 जून 2021 के पंचांग के सूर्यस्पष्ट 1 राशि 26 अंश 9 कला 22 विकला में युक्त करने पर तात्कालिक सूर्यस्पष्ट 1 राशि 26 अंश 25 कला 22 विकला प्राप्त हुए। इसी प्रकार अन्य ग्रहों को स्पष्ट करना चाहिए। वक्री ग्रह में चालन युक्त करने के स्थान पर पंचांग में दिए ग्रह स्पष्ट में चालन हीन करना चाहिए।

मूल गणना से तात्कालिक ग्रह स्पष्ट करने की विधि-

आजकल मोबाइल फोन लगभग सभी के पास रहता है। मोबाइल फोन में कैलकुलेटर - गणक दिया रहता है। उक्त कैलकुलेटर की सहायता से ग्रहस्पष्ट करके दिखाते हैं। चंद्रमा की गति ऊपर उदाहरण में 722 कला 14 विकला लिखी है। 14 विकला को 60 से विभाजित करने पर 0. 233 आता है।अतः चंद्रमा की गति को 722.233 लिखेंगे। पंचांग में दिए गए ग्रहस्पष्ट के समय प्रातः 5 घंटा 30 मिनट को बालक के जन्म समय 12 घंटा 10 मिनट में हीन करने पर 6 घंटा 40 मिनट हुआ। 40 मिनट को 60 से भाग देने पर 0. 666 आया।अतः 6.666 घंटादि चालन हुआ।722.233 को 6.666 से गुणा कर 24 से विभाजित करने पर 200.6002 आया। 200 कला को 60 से विभाजित करने पर 3 अंश 20 कला होते हैं तथा 0.6002 को 60 से गुणा करने पर 36 विकला आई। इस प्रकार 3 अंश 20 कला 36 विकला चंद्रमा का चालन हुआ। इसे पंचांग में दिए गए चंद्रस्पष्ट 2 राशि 2 अंश 9 कला 51 विकला में युक्त करने पर 2 राशि 5 अंश 30 कला 27 विकला चंद्रस्पष्ट हुआ। तात्कालिक सूर्यस्पष्ट हेतु पंचांग में 11 जून 2021 को सूर्य गति 57 कला 22 विकला लिखी है।22 विकला को 60 से विभाजित करने पर 0.366 आया। अतः सूर्य की गति 57.366 को 6.666 से गुणा कर 24 से भाग देने पर 15.9334 आया। 15.9334 में से 15 हीन करके शेष 0.9334 को 60 से गुणा करने पर 56 विकला प्राप्त हुई। अतः 15 कला 56 विकला को पंचांग के 11 जून 2021 के सूर्य स्पष्ट 1 राशि 26 अंश 9 कला 22 विकला में युक्त करने पर 1 राशि 26 और 25 कला 18 विकला आया। यह सूक्ष्म सूर्य स्पष्ट विकलांत तक हुआ। दोनों ही विधियों से ग्रह स्पष्ट कला तक शुद्ध आजाते हैं।

लग्न स्पष्ट का उदाहरण-

हम पूर्व में इष्टकाल स्पष्ट करते समय उपरोक्त उदाहरण संख्या 2 जो कि 24 जुलाई 2021 सायं 5 बजकर 12 मिनट स्थान सहारनपुर का दिया गया है। जिसमें कि इष्टकाल 28 घटी 58 पल निकाला गया है। उक्त दिवस का तात्कालिक सूर्यस्पष्ट करने हेतु पंचांग में 24 जुलाई का सूर्यस्पष्ट 3 राशि 7 अंश 10 काला 50 विकला दिया गया है। सूर्य की गति 57 कला 14 विकला दी गई है। तत्कालिक ग्रहस्पष्ट करने की सारणी श्री सिद्धिदात्री पंचांग संवत 2078 के पृष्ठ 18 में 57कला के समसूत्र 14025 संख्या है एवं जन्म समय सांय 5 घंटा 12 मिनट अर्थात 17 घंटा 12 मिनट में से पंचांग के ग्रहस्पष्ट के समय 5 घंटा 30 मिनट हीन करने पर 11 घंटा 42 मिनट आए। इसके समसूत्र पृष्ठ 18 में ही संख्या 3120 आई। 14025 में 3120 को युक्त करने पर 17145 हुआ। पुनः सारणी में पृष्ठ 17 पर इस संख्या के निकटतम संख्या 28 कला में 17112 लिखा हुआ है। अतः चालन 28 कला को पंचांग के उस दिन के सूर्यस्पष्ट 3 राशि 7 अंश 10 कला 50 विकला में युक्त करने पर तात्कालिक सूर्यस्पष्ट 3 राशि 7अंश 38 कला 50 विकला हुआ। इष्टकाल पूर्व में 28 घटी 58 पल निकाल रखा है। अब श्रीसिद्धिदात्री पंचांग संवत 2078 के पृष्ठ 20 में दी गई लग्न सारणी से 3 राशि 7 अंश के समसूत्र संख्या 18 घटी 30 पल प्राप्त हुए। पुनः3 राशि 7 अंश और 3 राशि 8 अंश के कोष्ठकों का अंतर 12 पल आया। इसे पंचांग के पृष्ठ 21 में कोष्ठक ख में दो कोष्ठकों के अंतर 12 तथा सूर्य स्पष्ट की कलाएं 38 के निकटतम 40 कलाओं के समसूत्र में देखने पर 8 पल प्राप्त हुआ। इस 8 को उपरोक्त साधित 18 घटी 30 पल में युक्त करने पर 18 घटी 38 पल हुए। इसमें इष्टकाल 28 घटी 58 पल को युक्त करने पर 47 घटी 36 पल प्राप्त हुआ। पृष्ठ 20 में दी गई लग्नसारणी में 47 घटी 36 पल के निकटतम अल्पसंख्या कोष्टक में 47 घटी 27 पल मिले। इसके समसूत्र देखने पर 8 राशि 6 अंश स्थूल लग्नस्पष्ट आया। 8 राशि 6 अंश एवं 8 राशि 7 अंश के कोष्टकों का अंतर करने पर 10 पल अंतर आया तथा उपरोक्त प्राप्त अपनी संख्या 47घटी 36पल एवं अल्प कोष्टक संख्या 47घटी 27 पल का अंतर करने पर 9 पल अंतर आया। उपरोक्त निकाले गए 10 पल कोष्ठकों का अंतर एवं 9 पल अंतर इन दोनों के समसूत्र पृष्ठ 21 में कोष्टक ख में देखने पर 54 कला प्राप्त हुए। इन्हें स्थूल लग्नस्पष्ट 8 राशि 6 अंश में जोड़ने पर शुद्ध लग्नस्पष्ट 8 राशि 6 अंश 54 कला 0 विकला प्राप्त हुए। स्मरण से कि सहारनपुर के अक्षांश 30 अक्षांश के निकट के हैं अतः श्री सिद्धिदात्री पंचांग में दी गई लग्न सारणी उपयोगी है तथा पृष्ठ 103 में 28 व 29 अक्षांशों की लग्न सारणी भी दी गई है।

विंशोत्तरी दशा साधन -

शास्त्र में दशाएं कई प्रकार की कही गई है किंतु वर्तमान में विंशोत्तरी दशा विशेष रूप से फलदाई है तथा विंशोत्तरी दशा के साथ में अष्टयोगिनी दशा भी देखने से दशा के फल में कभी-कभी विशेष फल प्राप्त होता है। विंशोत्तरी दशा का क्रम सर्वप्रथम सूर्य ( आदित्य )की महादशा इसके बाद चंद्रमा की फिर मंगल (भौम )की उसके बाद राहु की उसके बाद बृहस्पति की इसके बाद शनि की फिर बुध की इसके बाद केतु की एवं अंत में शुक्र की महा दशा होती है। जन्मपत्रिका में दशा के क्रम को प्रारंभिक अक्षर से इस प्रकार लिखते हैं--आ,चं,भो,रा,वृ,श,बु,के,शु कृतिका नक्षत्र से आरंभ करके जन्म नक्षत्र तक गिनते हैं। जितनी संख्या आती है उसको 9 से विभाजित करते हैं। जो शेष बचता है उपरोक्त क्रम से वही दशा होती है। उदाहरण 1- किसी का जन्म आश्लेषा नक्षत्र में हुआ, कृतिका नक्षत्र से गिनने पर सातवां नक्षत्र हुआ, क्योंकि यह 9 से विभाजित नहीं होता है अतः उपरोक्त क्रम में बुध की दशा हुई । उदाहरण 2- किसी जातक का जन्म मूल नक्षत्र में हुआ। कृतिका नक्षत्र से गिनने पर 17 वां नक्षत्र हुआ। 9 से विभाजित करने पर 8 शेष बचा अतः आठवीं दशा केतु की हुई। उदाहरण 3 - जातक का जन्म नक्षत्र भरणी है। कृतिका से गिना तो 27 हुआ। 9 से विभाजित करने पर 0 अर्थात 9 ही बचा अतः नवीं दशा शुक्र की हुई। इस प्रकार जन्म नक्षत्र से विंशोत्तरी दशा निकाली जाती है। दशाओं के वर्ष निश्चित होते हैं।आ(सूर्य )- 6 वर्ष, चं(चंद्रमा )- 10 वर्ष,भो( मंगल) - 7 वर्ष ,राहु- 18 वर्ष,वृ (बृहस्पति) - 16 वर्ष,श (शनि) - 19 वर्ष , बु(बुध) -17 वर्ष ,के(केतु )- 7 वर्ष एवं शु(शुक्र) के 20 वर्ष होते हैं। इन सभी के कुल वर्षों का योग 120 वर्ष होता है। जातक के जन्म के समय जो नक्षत्र में होता है वही जातक का जन्म नक्षत्र होता है तथा दशा का कितना समय बीत गया है एवं कितनी दशा जन्म के समय शेष है यह ज्ञात करने के लिए यह देखा जाता है कि जातक के जन्म समय से कितना पहले वह जन्म नक्षत्र प्रारंभ हुआ। जन्म के समय तक जन्म नक्षत्र के जितने घंटे मिनट बीत चुके उसी अनुपात से उतने ही वर्ष मास दिन उस ग्रह की विंशोत्तरी दशा के कम हो जाते हैं। इसके लिए यह देखा जाता है कि वह नक्षत्र किस तारीख को कितने बजे आरंभ हुआ एवं किस तारीख को कितने बजे वह समाप्त हुआ। इस प्रकार कुल कितने घंटे मिनट का वह नक्षत्र है तथा जातक के जन्म समय तक कितने घंटे मिनट बीते हैं। उदाहरण के लिए माना जन्मनक्षत्र भरणी 26 घंटे का है तथा जातक के जन्म समय तक 6 घंटा 30 मिनट बीत चुके हैं अर्थात यह एक चौथाई समय बीत चुका तो भरणी नक्षत्र में शुक्र की महादशा के 20 वर्ष में से एक चौथाई अर्थात 5 वर्ष कम करके 15 वर्ष तक शुक्र की महादशा जन्म के समय होगी अर्थात जन्म के समय से आगे 15 वर्ष तक शुक्र की महादशा रहेगी। जन्मपत्रिका में इन्हें घंटा मिनटों के स्थान पर घटी पलों में व्यक्त करते हैं। जैसे 26 घंटे के ढाई गुणा करने पर 65 घटी भरणी नक्षत्र का सर्वभोग हुआ तथा 6 घंटा 30 मिनट का ढाई गुणा 16 घटी 15 पल हुआ। यह भरणी नक्षत्र का भुक्त हुआ । Lord Ganesha


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