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रत्नों का महत्व

-मुहूर्त शास्त्र के प्रसिद्ध ग्रंथ मुहूर्त चिंतामणि, जो कि लगभग 150 वर्ष पूर्व रामाचार्य द्वारा लिखित ग्रंथ है, में नवग्रह की अंगूठी धारण करने का विधान लिखा गया है। इससे स्पष्ट है कि कोई भी रत्न धारण करने से अशुभ प्रभाव नहीं होता है अन्यथा नवग्रह की अंगूठी धारण करने का कोई औचित्य ही नहीं होता । यह धारणा की इस रत्न के साथ यह रत्न धारण नहीं करना या यह रत्न हानि पहुंचाता है वास्तविकता से परे है।

रत्नों को औषधि के समान प्रयोग में लाना चहिए

जिस प्रकार रोग होने पर ही औषधि ली जाती है तथा दुर्बलता होने पर टॉनिक लिए जाते हैं शक्ति वर्धक औषधियां ली जाती है उसी प्रकार रत्न भी उपयोगी होते हैं । सर्वप्रथम व्यक्ति को क्या समस्या है एवं कुंडली में देखने पर यह निर्णय किया जाता है कि अमुक व्यक्ति को अमुक समस्या किस ग्रह के कारण है उसी ग्रह का रत्न धारण करना लाभप्रद होता है । यदि कार्यों में सफलता नहीं मिल रही है या बहुत परिश्रम करने से कार्य में सफलता मिलती है तो वहां पर कर्म के अधिपति या भाग्य के अधिपति के ग्रह का रत्न धारण करना लाभप्रद होता है । कुछ लोगों की कुंडलियां नहीं होती हैं वह भी रत्न धारण करने के लिए उत्सुक रहते हैं। वहां पर भी पुनः विचारणीय प्रश्न यह होता है कि वह रत्न धारण क्यों करना चाहते हैं । इसके लिए भी शास्त्र में व्यवस्था है । ग्रहों के निश्चित विभाग है । माना किसी व्यक्ति को उसकी सर्विस में परेशानी हो रही है और उसकी कुंडली नहीं है और ना ही उसके पास जन्मतिथि आदि है ऐसे व्यक्ति को सूर्य का रत्न धारण करना लाभप्रद होता है । क्योंकि सूर्य को राज्य पक्ष का कारक माना गया है तथा सूर्य आत्मबल का भी कारक है। इसी प्रकार स्त्री की समस्या होने पर शुक्र का रत्न या उपरत्न लाभप्रद होता है। प्रायः यह देखा गया है कि कई बार रत्न भी गलत धातु में धारण कर लिए जाते हैं उससे भी समस्या उत्पन्न होती है। सही उपयोगी रत्न के साथ सही उपयोगी धातु होना आवश्यक है अन्यथा लाभ नहीं मिलता है ।

किस प्रकार के रोग में कौन सा रत्न लाभदायक है:-

जन्म कुंडली में सूर्य के अशुभ होने से नेत्रों में पीड़ा तथा ज्वर रोग होता है । चंद्रमा के अशुभ होने फल कारक से सीत प्रधान रोग तथा अपच होता है । पाचन शक्ति कमजोर होती है । मंगल के अशुभ फल कारक होने से फोड़ा फुंसी रक्त विकार होता है । बुध के अशुभ फल कारक होने से नपुंसकता एवं बुद्धि विवेक की कमी होती है । गुरु के अशुभ फल कारक होने से पाचन शक्ति कमजोर गैस अफारा एसिडिटी तथा वसा की वृद्धि मोटापा होता है । शुक्र के अशुभ फल प्रद होने से नेत्रों में रोग एवं मूत्र रोग होते हैं । यदि जन्मकुंडली में सनी और अशुभ फलदाई हो तो वायु के रोग जोड़ों के दर्द एवं स्वास रोग होता है । राहु के कुप्रभाव से सामान्यतया ऐसे रोग होते हैं जिनमें रोग का कारण पता नहीं लगता हाथ पांव में दर्द तथा चंद्रमा के साथ राहु मंगल के होने पर सनी से संबंध होने पर मानसिक रोग होते हैं । केतु के कुप्रभाव से मारक दशा में किसी भी रोग के प्रभाव से मृत्यु का भय उत्पन्न होता है । केतु पंचम भाव में बैठकर उदर पीड़ा भी उत्पन्न करता है । राहु केतु कर्करोग कैंसर भी उत्पन्न करते हैं । इस प्रकार ग्रह का रोग से सूक्ष्म संबंध स्थापित कर संबंधित ग्रह का दान एवं रत्न धारण करने से रोग समन शीघ्र ह ोता है ।

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किस ग्रह का कौन सा रत्न लाभप्रद है

सूर्य के लिए माणिक-Ruby, चंद्रमा के लिए मोती-White Pearl, मंगल के लिए लाल मूंगा-Red Coral, बुध के लिए पन्ना-Emrald, बृहस्पति ग्रह के लिए पुखराज-Yellow Saphire, शुक्र ग्रह के लिए हीरा या फायरिंग ओपल-Diamond or Opal, शनि के लिए नीलम-Blue Saphire, राहु के लिए गोमेद-Zircon तथा केतु के लिए लहसुनिया-Cats eyes उपयोगी है।

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रुद्राक्ष का महत्व

2 मुखी रुद्राक्ष- शिव एवं पार्वती का स्वरूप माना जाता हैं। यह ध्यान लगाने में मन की पवित्रता बढ़ाने में तथा एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होते हैं । उपासना मार्ग में इसका बहुत महत्व है। तीन मुखी रुद्राक्ष - यह ब्रह्मा विष्णु महेश के स्वरूप को इंगित करता है तथा पापों का नाशक है । समृद्धि प्रदान करता है। त्रिकाल भूत वर्तमान भविष्य देखने वालों के लिए लाभप्रद होता है ।चार मुखी रुद्राक्ष चतुर्मुखी रुद्राक्ष- शिक्षा में उन्नति के लिए तथा धर्म शास्त्र अध्ययन के लिए यह उपयोगी है तथा मानसिक पुष्टि करता है। पंचमुखी रुद्राक्ष - धन एवं वैभव देने वाला है । यह शिव पंचाक्षर का स्वरूप है। 6 मुखी रुद्राक्ष - यह सफलता प्रदान करता है। विद्या में उन्नति के लिए एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से यह लाभप्रद है । सात मुखी रुद्राक्ष- धन वैभव एवं शरीर स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है । 8 मुखी रुद्राक्ष- शत्रु का नाश करता है तथा मित्रों की वृद्धि करता है । इसके अतिरिक्त व्यापार धन वैभव बढ़ाता है । नौ मुखी रुद्राक्ष -हर प्रकार से शत्रु का नाश करने वाला व सफलता तथा प्रसन्नता प्रदान करने वाला होता है । 10 मुखी रुद्राक्ष - सामाजिक कार्य करने वालों के लिए लाभप्रद होता है तथा यह भाग्य वर्धक भी होता है। 11 मुखी रुद्राक्ष - यह कार्यों में सफलता देने वाला तथा बाधाओं को दूर करने वाला तथा समृद्धि एवं प्रसन्नता प्रदान करने वाला होता है ।12 मुखी रुद्राक्ष -रोगों का नाशक भाग्य वर्धक तथा समृद्धि प्रदान करने वाला है ।13 मुखी रुद्राक्ष - यह संतान देने वाला तथा सांसारिक सुखों की वृद्धि करने वाला होता है । इच्छाओं की पूर्ति करता है तथा मान सम्मान बढ़ाता है 14 मुखी रुद्राक्ष -यह एक मुखी रुद्राक्ष के समान महत्वपूर्ण होता है । यह सभी पापों का नाशक होता है और सभी प्रकार की बाधाएं एवं रोगों को दूर करता है तथा भाग्य की वृद्धि करता है। गौरी शंकर रुद्राक्ष- शिव पार्वती स्वरूप गौरी शंकर रुद्राक्ष सफलता प्रदान करने वाला और सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने वाला एवं भाग्य वृद्धि करने वाला होता है। एक मुखी रुद्राक्ष -गोल एक मुखी रुद्राक्ष दुर्लभ होता है तथा यह भाग्यवान व्यक्ति को ही प्राप्त होता है। आजकल काजू के आकार के एक मुखी रुद्राक्ष उपलब्ध होते हैं।

अंतरिक्ष में किसी विशेष क्षण में कुंडली आकाशीय पिंडों और ग्रहों का एक स्नैपशाट है। जन्म कुंडली या होरोस्काप के रूप में लोकप्रिय रूप से जाना जाने वाला एक ज्योतिषीय चार्ट है, जो जन्मदिन, जन्मस्थान और जन्म समय के आधार पर बना है।

कुंडलि बनाने का कार्य कैसे होता है

जन्म कुंडली चार्ट को अलग-अलग संकेतों और ग्रहों से मिलाकर 12 घरों में विभाजित किया गया है। चार्ट पर, पहला घर अग्रवर्ती से शुरू होता है और बाकी घर घड़ी की विपरीत दिशा में गिने जाते हैं। ये घर किसी व्यक्ति की स्थिति और ज्योतिष संबंधी पहलुओं को परिभाषित करते हैं। कुंडली में हर घर जीवन की एक अलग संभावना का प्रतिनिधित्व करता है, जैसे कैरियर, रिश्ते, पैसा और अन्य अधिक समान पहलु ।

इसके अलावा, ग्रह ग्रहों की स्थिति के आधार पर दिन, महीना और वर्ष के रूप में विभिन्न राशियों में स्थानांतरित होते रहते हैं। ये ग्रह विभिन्न घटनाओं और संभावनाओं को दर्शाते हैं। जन्म कुंडली को देखते हुए, एक ज्योतिषी ग्रहों के दृश्य के आधार पर भविष्य की भविष्यवाणी कर सकता है। भविष्य के बारे में भविष्यवाणी करने के लिए ज्योतिषियों द्वारा विभिन्न सिद्धांतों का परीक्षण और वैदिक ज्योतिष का अभ्यास किया जाता है।



कुंडली कैसे उपयोगी है

कुंडली बनाना एक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जन्म कुंडली को नेटल चार्ट या जन्मपत्री के नाम से भी जाना जाता है जो एक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कुंडली केवल पेशेवरों द्वारा ही बनाई जानी चाहिए क्योंकि वे आपके भविष्य और विशेषता/लक्षणों को महान सटीकता के साथ बता सकते हैं। एक कुंडली एक व्यक्ति को पर्याप्त लाभ प्रदान कर सकती है, जैसे:

  • अपनी कुंडली की सहायता से, आप आसानी से अपने भविष्य की भविष्यवाणी कर सकते हैं।
  • आपकी कुंडली के अनुसार, आप सबसे उपयुक्त कैरियर विकल्प का अनुमान कर सकते हैं। यह आपके व्यक्तित्व लक्षण और संकेतों पर निर्भर करता है।
  • कुंडली आपको अपने व्यक्तित्व लक्षण, रिश्ते, कैरियर, वित्त और जीवन के अन्य पहलुओं के बारे में विस्तृत जानकारी दे सकती है।
  • कुंडली की मदद से आप अपने भाग्यशाली रत्न, भाग्यशाली रंग और भाग्यशाली संख्या का अनुमान लगा सकते हैं।
  • आप अपने भविष्य के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, समस्याओं की गहराई को कम करने के लिए उपाय और समाधान भी पा सकते हैं।
  • कुंडली जीवन में अनुकूल और प्रतिकूल समय की जानकारी भी प्रदान करती है।

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