राशिफल एवं शनि की साढ़े साती

शनि की साढ़े साती व ढ़ैया का फल

शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहता है। जब शनि राशि से बारहवें भाव में शनि प्रवेश करता है उसी समय से साढ़ेसाती प्रारंभ होती है। इस समय साढ़ेसाती मस्तक में कहलाती है । ढाई वर्ष बाद यह राशि में प्रवेश करती है । यह साढ़ेसाती का दूसरा चरण होता है और ह्रदय में कहलाती है तथा चंद्र राशि से द्वितीय स्थान में शनि जब प्रवेश करता है तब साढ़ेसाती का तीसरा चरण प्रारंभ होता है तथा साढ़ेसाती पांव में कहलाती है । इस प्रकार ढाई ढाई वर्ष तीन राशि में भ्रमण से साडे सात वर्ष होते हैं । जब जन्म राशि से दूसरी राशि में शनि प्रवेश करता है तब साढ़ेसाती समाप्त होती है। यदि जन्म का शनि अच्छी स्थिति का हो तो साढ़ेसाती ज्यादा परेशान नहीं करती किंतु जन्म कुंडली में शनि यदि नीच राशि या शत्रु राशि या अशुभ ग्रहों से युक्त हो तो साढ़ेसाती कष्ट करने वाली होती है। यदि जातक की मेष राशि हो तो पहले ढाई वर्ष शुभ मध्य के अशुभ तथा अंत के ढाई वर्ष शुभ होते हैं । वृष राशि वालों के लिए आरंभ के ढाई वर्ष अशुभ मध्य के ढाई वर्ष शुभ तथा अंत के ढाई वर्ष भी शुभ होते हैं । मिथुन राशि वालों के लिए आरंभ के ढाई वर्ष शुभ मध्य के अनुकूल एवं अंत के ढाई वर्ष सामान्य फल देते हैं । कर्क राशि वालों को आरंभ के ढाई वर्ष शुभ मध्य के मिश्रित फल वाले एवं अंत के ढाई वर्ष अशुभ होते हैं। सिंह राशि वालों को आरंभ के 5 वर्ष अशुभ एवं अंत के ढाई वर्ष शुभ होते हैं । कन्या राशि वालों को आरंभ के ढाई वर्ष अशुभ एवं शेष 5 वर्ष शुभ होते हैं । तुला राशि वालों को आरंभ के 5 वर्ष शुभ तथा अंत के ढाई वर्ष अशुभ होते हैं । वृश्चिक राशि वालों को आरंभ के ढाई वर्ष श्रेष्ठ, मध्य के ढाई वर्ष अशुभ तथा अंत के ढाई वर्ष सामान्य फल देते हैं। धनु राशि वालों को आरंभ के ढाई वर्ष अशुभ,मध्य के ढाई वर्ष शुभ तथा अंत के ढाई वर्ष सामान्य फल देते हैं। मकर राशि वालों को आरंभ के ढाई वर्ष शुभ मध्य के ढाई वर्ष सामान्य तथा अंत के ढाई वर्ष श्रेष्ठ फल देते हैं । कुंभ राशि वालों को आरंभ के ढाई वर्ष सामान्य तथा शेष 5 वर्ष शुभ फलदाई होते हैं । मीन राशि वालों को आरंभ के 5 वर्ष शुभ एवं शेष ढाई वर्ष अशुभ होते हैं ।साढ़ेसाती के प्रभाव का आंंकलन करने के साथ ही यह भी देखना चाहिए कि जातक की विंशोत्तरी दशा कैसी चल रही है ? यदि विंशोत्तरी दशा शुभ फल प्रदान करने वाली चल रही है तो वह साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव को भी कम करती है एवं यदि विंशोत्तरी दशा भी अशुभ फल कारी है तो साढ़ेसाती ज्यादा कष्टप्रद होती है। इसका विचार साढ़ेसाती के प्रभाव को देखने में करना नितांत आवश्यक है । मात्र साढ़ेसाती कह देने से की शनि अशुभ है साढ़ेसाती के वास्तविक फल का ज्ञान नहीं होता है।

17 जनवरी सन 2023 ईस्वी को शनि वृश्चिक के चंद्र के समय कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। अतः मिथुन राशि- वृश्चिक राशि एवं मकर राशियों पर शनि स्वर्ण पाद में रहेगा तथा कर्क राशि- तुला राशि एवं मीन राशि वालों का शनि रजत पाद में रहेगा। वृष राशि - कन्या राशि एवं कुंभ राशि वालों का शनि ताम्र पाद में रहेगा एवं मेष राशि- सिंह राशि एवं धनु राशि वालों का शनि लोह पाद में रहेगा। स्वर्ण पाद का शनि मिश्रित फल देता है। रजत पाद का शनि शुभ फल देता है। ताम्र पाद का शनि भी शुभ फल प्रदान करता है एवं लोह पाद का शनि पीड़ा कारक होता है। कुंभ राशि के शनि के प्रभाव से मकर राशि वालों को उतरती साढ़ेसाती पांव पर रहेगी तथा कुंभ राशि वालों को मध्य की साढ़ेसाती हृदय पर रहेगी तथा मीन राशि वालों को चढ़ती हुई साढ़ेसाती सिर पर रहेगी। कर्क एवं वृश्चिक राशि वालों को शनि की ढैया रहेगी। जैसे कि ऊपर दर्शा चुके हैं कि कर्क राशि वालों को शनि के रजत पाद में होने से ढैया शुभ फल कारक रहेगी तथा वृश्चिक राशि वालों को शनि के स्वर्ण पाद में होने से ढैया मिश्रित फल प्रदान करने वाली रहेगी तथा मकर राशि वालों को उतरती पांंव पर साढ़ेसाती स्वर्ण पाद में होने से मिश्रित फल कारक रहेगी तथा कुंभ राशि वालों को साढ़ेसाती ताम्र पाद में शनि के होने से शुभ फल कारक रहेगी एवं मीन राशि वालों को भी शनि की साढ़ेसाती सिर पर रजत बाद में होने से शुभ फल प्रद रहेगी। वर्षारम्भ से 21 अप्रैल तक गुरु मीन राशि में स्थित रहेगा तथा 22 अप्रैल 2023 को गुरु मेष राशि में प्रवेश करेगा मीन एवं मेष राशि के गुरु का फल विभिन्न राशियों पर निम्न प्रकार से होगा- मीन राशि के बृहस्पति का फल मेष राशि वालों को मीन राशि का बृहस्पति पीड़ा कारक रहेगा एवं वृष राशि वालों को शुभ फल प्रदान करने वाला रहेगा। मिथुन राशि वालों को आर्थिक हानि , कार्य में बाधा करने वाला होगा। कर्क राशि वालों के लिए सभी प्रकार से सुख कारक रहेगा। सिंह राशि वालों के लिए मीन राशि का बृहस्पति पीड़ा कारक रहेगा। कन्या राशि वालों को मीन राशि का बृहस्पति हर प्रकार से लाभ प्रदान करने वाला एवं तुला राशि वालों को पीड़ा कारक रहेगा। वृश्चिक राशि वालों के लिए गुरु शुभ फल प्रदान करने वाला रहेगा एवं धनु राशि वालों के लिए भी मीन राशि का बृहस्पति चिंता में वृद्धि करने वाला रहेगा। मकर राशि वालों को मीन राशि का बृहस्पति पीड़ा कारक, रोग वृद्धि करने वाला होगा एवं कुंभ राशि वालों को मीन राशि का बृहस्पति लाभ प्रदान करने वाला रहेगा । मीन राशि वालों के लिए मीन राशि का ही बृहस्पति भय कारक व पीड़ा कारक रहेगा। अब मेष राशि के बृहस्पति का फल बताते हैं- मेष राशि का बृहस्पति मेष राशि वालों के लिए भय कारक रहेगा एवं वृष राशि वालों के लिए मेष राशि का बृहस्पति पीड़ाकारक होगा जबकि मिथुन राशि वालों के लिए शुभ फल प्रदान करने वाला होगा। कर्क राशि वालों के लिए मेष राशि का गुरु हानि कारक रहेगा एवं सिंह राशि वालों के लिए शुभ फल दायक होगा। जबकि कन्या राशि वालों के लिए मेष राशि का बृहस्पति कष्ट कारक होगा तथा तुला राशि वालों के लिए लाभप्रद रहेगा। वृश्चिक राशि वालों के लिए मेष राशि का बृहस्पति पीड़ा करनेवला है।धनु राशि वालों के लिए हर प्रकार से शुभ फल प्रदान करने वाला होगा। मकर राशि वालों के लिए मेष राशि का बृहस्पति चिंंता वृद्धि करने वाला होगा एवं कुंभ राशि वालों के लिए रोग एवं पीड़ा बढाने वाला होगा। मीन राशि वालों के लिए मेष राशि का बृहस्पति लाभ प्रदान करने वाला होगा । अब द्वादश राशियों पर कुंभ राशि के शनि का सामान्य फल लिखते हैं- मेष राशि वालों को सर्व प्रकार से सुख एवं शांति प्रदान करने वाला होगा। वृष राशि वालों को कुंभ राशि का शनि नया कारोबार प्रारंभ कराने वाला, अपव्यय में वृद्धि करने वाला। मान सम्मान में भी कमी करने वाला होगा। मिथुन राशि वालों को कुंभ राशि का शनि शत्रु में वृद्धि करने वाला तथा अपयश देने वाला होगा। कर्क राशि वालों को धन हानि, पीड़ा व शत्रु वृद्धि करेगा। सिंह राशि वालों को दूर की यात्रा व मित्रों से लाभ प्रदान करेगा । कन्या राशि वालों के शत्रु परास्त होंगे तथा सुख एवं शान्ति होगी। तुला राशि वालों को संतान पक्ष की चिंता होगी एवं विवाद उत्पन्न होंगे । वृश्चिक राशि वालों को पारिवारिक अशांति रहेगी। धनु राशि वालों को आर्थिक लाभ उत्तम एवं वाहन का लाभ होता है। मकर राशि वालों को अपव्यय व पीड़ा होगी। कुंभ राशि वालों को स्थान परिवर्तन पीड़ा, पारिवारिक अशांति तथा अपव्यय होगा। मीन राशि वालों को कष्ट एवं अशान्ति तथा अपव्यय होगा।

12 अप्रैल सन 2022 से राशियों पर राहु का प्रभाव

- दिनांक 12 अप्रैल 2022 को वक्र गति से राहु का मेष राशि में एवं केतु का तुला राशि में प्रवेश हुआ है। राहु का फल - मेष राशि वालों को मानसिक चिंता एवं आर्थिक लाभ में कमी करने वाला है। वृष राशि वालों को राहु 12वें स्थान में स्थित होने से मानसिक अशांति एवं व्यय की अधिकता करने वाला है। मिथुन राशि वालों को राहु एकादश स्थान में होने से लाभ प्रदान करने वाला है। कर्क राशि वालों को राहु के दशम स्थान में स्थित होने से विवाद एवं शत्रु वृद्धि होती है। सिंह राशि वालों को राहु के नवम स्थान में स्थित होने से धार्मिक कार्यों में अरुचि एवं कार्य में बाधा उत्पन्न होती है। कन्या राशि वालों को राहु के अष्टम स्थान में स्थित होने से शारीरिक पीड़ा , उदर विकार संभव है। तुला राशि वालों को राहु के सप्तम स्थान में स्थित होने से पारिवारिक अशांति होती है। वृश्चिक राशि वालों को राहु के छठे स्थान में स्थित होने से आर्थिक लाभ होता है एवं शत्रु पराजित होते हैं। धनु राशि वालों को राहु के पंचम भाव में स्थित होने से मानसिक अशांति होती है एवं संतान पक्ष की चिंता भी होती है। मकर राशि वालों को राहु के चतुर्थ भाव में स्थित होने से पारिवारिक अशांति, व्यर्थ की यात्रा, दौड़ - भाग होती है। कुंभ राशि वालों को तीसरा राहु होने से आर्थिक लाभ उत्तम होता है एवं अपने परिश्रम से लाभ प्राप्त होता है। मीन राशि वालों को द्वितीय भाव में राहु के होने से आर्थिक हानि, धन का अपव्यय एवं आय में कमी होती है। जिन राशि वालों के लिए राहु पीड़ा कारक लिखा गया है उन्हें चाहिए कि राहु के मंत्र का 3 गुणा अर्थात 54000 मंत्र का जाप कराएं एवं दशांश हवन कराएं जिसमें कि दूर्वा को समिधा के रूप में प्रयोग किया जाए तो वह राहु के कुप्रभाव को शांत करेगा।

वैदिक राशिफल क्या है ?

हम सभी जानते है की वैदिक ज्योतिष का सम्बन्ध १२ घर १२ राशियाँ और नौ ग्रहों से है, जानने की कोशिश करते है की ज्योतिष किन सिद्धांतो पर कार्य करता है और इसके पीछे छिपे क्या तथ्य है तथा लाखों लोग इस विज्ञानं से किस प्रकार जुड़े हुए है ! ज्योतिष एक ऐसी कार्य प्रणली है जिसके द्वारा मनुष्यों को अपने पिछले जन्मो के कर्मो का फल प्राप्त होता है ! अच्छे कर्मो का अच्छा फल तथा बुरे कर्मो का बुरा फल ! मान लो यदि आपने अपने पिछले जन्म में अच्छे कर्म किये है तो इस जन्म में आप एक सुखी जीवन व्यतीत करेंगे ! कम परिश्रम से भी अधिक फल की प्राप्ति करेंगे, परन्तु यदि आपने यदि अपने पिछले जन्म में सिर्फ बुरे ही बुरे कर्म किये है तो अगला जन्म आपके बुरे कर्मो का फल देगा ! पूरा जीवन दुःख और परेशानियों से भरा और अधिक से अधिक महनत करने पर भी फल की प्रति नहीं होगी ! और यही कारण है की लाखों लोग जीवन भर संघर्ष करने पर भी कुछ प्राप्त नहीं कर पाते और दूसरी तरफ कम परिश्रमी लोग अपने जीवन में बैठे बीठाय बहुत कुछ हांसिल कर लेते है

तो क्या ऐसा और कोई जरिया नहीं है जिसके द्वारा हम अपने पिछले जन्मों के कर्मो का पश्चताप कर सके और इस जीवन को सुखी कर सके ? जी हाँ यही पर वैदिक ज्योतिष अपनी भूमिका निभाता है, किसी भी जातक की कुंडली में हर एक गृह का अपना कार्य निर्धरित होता है , मान लो यदि गृह द्वारा आपको जीवन में तरक्की प्राप्त होनी है तो उस गृह को आपके लिए यह करना होगा, और यदि किसी गृह के द्वारा आपको जीवन में कष्ट दिए जाने है तो वह कष्ट अवश्य देगा ! हर गृह के द्वारा दिया जाने वाला फल आपके पिछले जन्म के कर्मो द्वारा पूर्व निर्धारित हो जाता है ! आप इन ग्रहों के उचित पूजा पाठ, दान और उपायों द्वारा इनसे मिलने वाले कष्टों में कमी ला सकते है और इन ग्रहों के रत्नों द्वारा इनसे प्राप्त होने वाले शुभ फलों में वृद्धि कर अधिक लाभ उठा सकते है !


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मेष (Mesh)

इसका राशि स्वामी मंगल है तथा यह राशि पूर्व दिशा की स्वामिनी है। यह राशि पुरुष-जाति, लाल-पीले वर्ग, वर्ण कांतिहीन, क्षत्रिय वर्ण, अग्नि तत्व वाली, चर संज्ञक समान अंगों वाली, अल्प सन्ततिवान तथा पित्त प्रकृति कारक है। इसका स्वभाव अहंकारी, साहसी तथा मित्रों के प्रति दयालुता का है। इसके द्वारा मस्तक का विचार किया जाता है। नाम का प्रथम अक्षर जिस राशि के आगे लिखा हो वही राशि होती है एवं उसके आगे लिखा राशिफल सामान्यतया मिलता है । सूक्ष्म फलित विचार जन्म समय के आधार पर निकाली गई दशांओं से करवाना चाहिय े । द्वादश राशि फल एवं शनि की साढे़ साती-ढ़ैया का फल ) नाम का प्रथम अक्षर जिस राशि के आगे लिखा हो वही राशि होती है एवं उसके आगे लिखा राशिफल सामान्यतया मिलता है । सूक्ष्म फलित विचार जन्म समय के आधार पर निकाली गई दशाओं से करवाना चाहिये ।

मेष से कन्या राशि का अप्रैल से जून मास तक सन 2024 ईस्वी का (तीन माह का) उपचार सहित राशिफल-

मेष राशि - चू,चे,चो,ला,ली,लू,ले,लो,अ - सन 2024 ईस्वी मेष राशि - अप्रैल मास में आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी, कारोबार उत्तम होगा, संतान पक्ष से प्रसन्नता होगी, यात्रा की संभावना है, लाभकारी यात्रा संभव है, स्त्री पक्ष से प्रसन्नता होगी। मई मास में कारोबार उत्तम होगा, धन का अपव्यय संभव है , साधारण स्वास्थ्य विपरीत रहसकता है, अपने पराक्रम से लाभ प्राप्त करेंगें, मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा। जून मास में स्वभाव में तेजी रहेगी, मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा, संतान पक्ष से प्रसन्नता होगी, धन का अपव्यय भी होगा तथा कारोबार उत्तम होगा, आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी । मेष राशि वालों को स्वर्ण पाद पर शनि रहेगा जो की शुभ फल प्रद है। मेष राशि वालों को राहु पीड़ा कारक एवं व्यय बढ़ाने वाला रहेगा तथा केतु पीड़ा कारक है। मेष राशि वालों के लिए बृहस्पति भय कारक है। 1 मई से शुभ फल प्रद रहेगा। पीड़ा कारक ग्रह की शांति उपचार हेतु अपने कुल पुरोहित से ग्रहों का जप- हवन एवं दक्षिणा सहित दान करना चाहिए।ें। ा ।

वृषभ (Vrushabh)

इसका राशि स्वामी शुक्र है तथा यह दक्षिण दिशा की स्वामिनी है। यह राशि स्त्री जाति, श्वेत वर्ण, कान्तिहीन, वैश्य वर्ण, भूमि तत्व वाली, स्थिर संज्ञक, शिथिल शरीर, शुभकारक तथा महाशब्दकारी है। इसका स्वभाव स्वार्थी, सांसारिक कार्यों में दक्षता तथा बुद्धिमत्ता से काम लेने का है। इसे अर्द्धजलराशि भी कहा जाताहै

वृष राशि - ई, उ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो -सन 2024 ईस्वी वृष राशि - अप्रैल मास में कारोबार उत्तम होगा, आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी ,रुके हुए कार्य बनेंगें, अपने पराक्रम से लाभ प्राप्त होगा, संतान पक्ष की चिंता रहेगी ,मान सम्मान में वृद्धि होगी। मई मास में कारोबार उत्तम होगा, आर्थिक लाभ की दृष्टि से समय अनुकूल है, स्त्री पक्ष से प्रसन्नता प्राप्त होगी, संतान पक्ष की चिंता रहेगी, धार्मिक कार्यों में रुचि रहेगी। जून मास में आर्थिक लाभ की दृष्टि से समय अनुकूल है, अकस्मात् धन लाभ का योग है ,पारिवारिक चिंता भी इस अवधि में रहेगी ,धन का अपव्यय भी होगा। वृष राशि वालों को ताम्र पाद पर शनि रहेगा जो की सामान्य फल प्रद है। वृष राशि वालों को राहु लाभ प्रद तथा केतु भी शुभ फल प्रद है। वृष राशि वालों को बृहस्पति पीड़ा व भय कारक है । पीड़ा कारक ग्रहों की शांति उपचार हेतु अपने कुल पुरोहित से ग्रहों का जप हवन एवं दक्षिणा सहित दान करना चाहिए ।

मिथुन (Mithun)

इसका राशि स्वामी बुध है। यह पश्चिम दिशा की स्वामिनी है। यह राशि पुरुष जाति, हरित वर्ण, चिकनी, शूद्र वर्ण, पश्चिम वायु तत्व वाली, ऊष्ण, महाशब्दकारी, मध्यम संतति वाली, शिथिल तथा विषमोदयी है। इसका स्वभाव शिल्पी तथा विद्याध्ययनी है। इसके द्वारा शरीर के कंधों तथा बाजुओं का विचार किया जाता है।

मिथुन राशि - का, की, कू, के, को, हा, छ, घ, ड.- 15- सन 2024 ईस्वी मिथुन राशि - अप्रैल मास में कारोबार उत्तम होगा, रुके कार्य बनेंगें, मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा, पारिवारिक चिंता बनी रहेगी, इस अवधि में यात्रा की भी संभावना है। मई मास में कारोबार सामान्य रहेगा, कार्यों में बाधा उत्पन्न होगी, धन का अपव्यय अधिक होगा, आर्थिक स्थिति मध्यम रहेगी, मित्रों से सहयोग प्राप्त नहीं होगा, पारिवारिक चिंता रहेगी। जून मास में आर्थिक स्थिति मध्यम रहेगी , मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा, यात्रा की संभावना है ,पारिवारिक चिंता बनी रहेगी, कार्यों में कुछ बाधा भी उत्पन्न होगी। मिथुन राशि वालों को राहु अनावश्यक विवाद उत्पन्न करने वाला एवं व्यय करने वाला है तथा केतु भी भय कारक ,कष्ट कारक है ।मिथुन राशि वालों के लिए बृहस्पति 1 मई से पीड़ा कारक है। पीड़ा कर ग्रहों की शांति उपचार हेतु अपने कुल पुरोहित से ग्रहों का जप हवन एवं तथा दान करना चा

कर्क (Karka)

इसका राशि स्वामी चंद्रमा है। यह उत्तर दिशा की स्वामिनी है। यह राशि स्त्री जाति, रक्त धवल मिश्रित वर्ण, जलचारी, सौम्य तथा कफ प्रकृति वाली, बहुसंतान एवं चरण रात्रिबली तथा समोदयी है। इसका स्वभाव लज्जा, सांसारिक उन्नति के लिए प्रयत्नशील रहना तथा समय के अनुसार चलना है। इसके द्वारा वक्षस्थल पर विचार किया जाता है।

कर्क राशि - ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो सन 2024 ईस्वी कर्क राशि - अप्रैल मास में आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी, रुके कार्य बनेंगें,मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा, किसी नए कार्य की योजना बनेगी, संतान पक्ष की चिंता रहेगी। मई मास में रुके कार्य बनेंगें, आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी, किसी नए कार्य की योजना बनेगी, पारिवारिक वातावरण प्रसन्नता का रहेगा, अपने पराक्रम से विशेष लाभ प्राप्त करेंगें। जून मास में कारोबार उत्तम होगा ,आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी, व्यय की अधिकता भी होगी, संपत्ति द्वारा लाभ संभव है, किसी नए कार्य की योजना संभव है। कर्क राशि वालों को राहु से अपव्यय कीअधिकता होगी तथा केतु सुख कारक है। कर्क राशि वालों के लिए बृहस्पति वर्ष के आरंभ में हानिकारक है तथा एक मई से शुभफल कारक है। पीड़ा कारक ग्रहों की शांति उपचार हेतु अपने कुल पुरोहित से ग्रहों का जप हवन एवं दक्षिणा सहित दान करना चाहिए।िए।

सिंह (Sinh)

इसका राशि स्वामी सूर्य है। यह पूर्व दिशा की स्वामिनी है। यह राशि पुरुष जाति, पीत वर्ण, क्षत्रिय वर्ण, पित्त प्रकृति, अग्नि तत्व वाली, ऊष्ण स्वभाव, पुष्ट शरीर, यात्राप्रिय, अल्प सन्तानविद् तथा निर्जल है। इसका स्वभाव मेष राशि के समान है, परंतु इसमें उदारता एवं स्वातन्त्र्यप्रियता अधिक पाई जाती है। इसके द्वारा हृदय का विचार किया जाता है।

सिंह राशि - मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, सन 2024 ईस्वी सिंह राशि - अप्रैल मास में स्वभाव में कुछ तेजी रहेगी, कार्यों में सफलता मिलेगी ,आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी, मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा , स्वास्थ्य साधारण विपरीत रहेगा। मई मास में कारोबार उत्तम होगा, आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी,व्यय की अधिकता भी इस अवधि में रहेगी, रुके कार्य बनेंगें, मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा, पारिवारिक चिंता भी रहेगी ।जून मास में कारोबार उत्तम होगा, रुके कार्य बनेंगें, मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा, धार्मिक कार्य में रुचि रहेगी, स्त्री पक्ष से प्रसन्नता होगी, स्वास्थ्य साधारण विपरीत रहेगा । सिंह राशि वालों को शनि ताम्र पाद में रहेगा जो की सामान्य फल कारक है। सिंह राशि वालों को राहु कष्ट कारक तथा केतु हानिकारक है । सिंह राशि वालों के लिए वर्ष के आरंभ में बृहस्पति शुभ कारक है तथा एक मई से बृहस्पति पीड़ा कारक है। पीड़ा कारक ग्रहों की शांति उपचार हेतु अपने कुल पुरोहित से ग्रहों का जप हवन एवं दक्षिणा सहित दान करना चाहिए।

कन्या (Kanya)

इसका राशि स्वामी बुध है। यह दक्षिण दिशा की स्वामिनी है। यह राशि स्त्री जाति, पिंगल वर्ण, द्विस्वभाव, वायु तथा शीत प्रकृति, पृथ्वी तत्व वाली, रात्रिबली तथा अल्प सन्तति वाली है। इसका स्वभाव मिथुन राशि जैसा है, परंतु यह अपनी उन्नति तथा सम्मान पर विशेष रूप से ध्यान देती है। इसके द्वारा पेट का विचार किया जाता है।

कन्या राशि - टो, पा, पी, पू, पे, पो, श, ण, ठ - सन 2024 ईस्वी कन्या राशि - अप्रैल मास में कारोबार माध्यम होगा, आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी ,शत्रु पराजित होंगें, संतान पक्ष से प्रसन्नता प्राप्त होगी। मई मास में रुके कार्य बनेंगें, यात्राओं से लाभ होगा, मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा, स्त्री पक्षी चिंता रहेगी, आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी। जून मास में कारोबार उत्तम होगा ,आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी, रुके कार्य बनेंगें, मान प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी, संतान पक्ष से प्रसन्नता होगी, स्त्री पक्ष की चिंता रहेगी, साधारण ज्वर आदि से स्वास्थ्य विपरीत रहेगा। कन्या राशि वालों को शनि स्वर्ण पद पर रहेगा जो की शुभ फल कारक है। कन्या राशि वालों को राहु पति - पत्नी को पीड़ा कारक तथा केतु पीड़ा कारक है। कन्या राशि वालों के लिए बृहस्पति पीड़ा कारक है तथा 1 मई के उपरांत सुख कारक है। पीड़ा कारक ग्रहों की शांति उपचार हेतु अपने कुल पुरोहित से ग्रहों का जप हवन एवं दक्षिणा सहित दान करना चाहिए।

तुला (Tula)

इसका राशि स्वामी शुक्र है। यह पश्चिम दिशा की स्वामिनी है। यह राशि पुरुष जाति, श्याम वर्ण, चर संज्ञक, वायु तत्व वाली, दिनबलि, क्रूर स्वभाव, शीर्षोदयी, अल्प सन्ततिवान तथा पादजल राशि है। इसका स्वभाव ज्ञान-प्रिय, राजनीतिज्ञ, विचारशील एवं कार्य सम्पादक है। इसके द्वारा नाभि से नीचे के अंगों का विचार किया जाता है।

तुला राशि - रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते-ा ।

सन 2024 ईस्वी तुला राशि -तुला से मीन राशि तक का अप्रैल माह से जून मार्च तक का राशिफल- तुला राशि - अप्रैल मास में कारोबार मध्यम रहेगा , आर्थिक स्थिति सामान्य रहेगी ,पत्नी पक्ष की चिंता रहेगी , स्वभाव में कुछ तेजी रहेगी। मई मास में कारोबार मध्यम रहेगा, आर्थिक स्थिति सामान्य रहेगी , संतान पक्ष से प्रसन्नता होगी, अपना स्वास्थ्य कुछ विपरीत रहेगा । जून मास में कारोबार उत्तम होगा , आर्थिक स्थिति उत्तम रहेगी , रुके कार्य बनेंगें , मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा , स्त्री पक्ष की चिंता रहेगी । तुला राशि वालों के लिए शनि रजत पद पर रहेगा जो की शुभ फल कारक है। तुला राशि वालों के लिए राहु शुभ फल कारक तथा केतु भय कारक है। बृहस्पति 1 मई के उपरांत पीड़ा कारक है । पीड़ा कारक ग्रहों की शांति उपचार हेतु अपने कुल पुरोहित से ग्रहों का जप - हवन एवं दक्षिणा सहित दान करना चाहिए।

वृश्चिक (Vrushchik)

इसका राशि स्वामी मंगल है। यह उत्तर दिशा की स्वामिनी है। यह राशि स्त्री जाति, शुभ वर्ण, कफ प्रकृति, ब्राह्मण वर्ण, उत्तर दिशा की स्वामिनी, रात्रिबली, बहु सन्ततिवान तथा अर्द्धजल तत्व वाली है। इसका स्वभाव स्पष्टवादी, निर्मल, दृढ़ प्रतिज्ञ, हठी तथा दम्भी है। इसके द्वारा जननेन्द्रिय का विचार किया जाता है।

वृश्चिक राशि -तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू -सन 2024 ईस्वी वृश्चिक राशि - अप्रैल मास में कारोबार उत्तम होगा , परिश्रम से विशेष फल मिलेगा , आर्थिक स्थिति उत्तम रहेगी , स्त्री पक्ष से प्रसन्नता होगी , संपत्ति द्वारा लाभ संभव है। मई मास में आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी , कारोबार सामान्य रहेगा , संतान पक्ष की चिंता रहेगी , कुछ उदर विकार से पीड़ा संभव है , संपत्ति द्वारा लाभ संभव है । जून मास में कारोबार मध्यम रहेगा , प्रयास अधिक लाभ कम होगा , पत्नी पक्ष की चिंता रहेगी , शत्रु पराजित होंगें , आर्थिक स्थिति मध्यम रहेगी । वृश्चिक राशि वालों को शनि लोह पाद पर रहेगा जो की पीड़ा कारक है। वृश्चिक राशि वालों को राहु चिंता कारक तथा केतु लाभ कारक है , बृहस्पति 1 मई तक दुःख एवं पीड़ा कारक है । पीड़ा कारक ग्रहों की शांति उपचार हेतु अपने कुल पुरोहित से ग्रहों का जप हवन एवं दक्षिणा सहित दान करना चाहिए।

 

धनु (Dhanu)

इसका राशि स्वामी गुरु है। यह पूर्व दिशा की स्वामिनी है। यह राशि पुरुष जाति, स्वर्ण वर्ण, द्विस्वभाव, क्षत्रिय वर्ण, दिनबली, पित्त प्रकृति, अग्नि तत्व वाली, अल्प सन्ततिवान, दृढ़ शरीर तथा अर्द्धजल तत्व वाली राशि है। इसका स्वभाव करुणामय, मर्यादाशील तथा अधिकारप्रिय है। इसके द्वारा पाँवों की संधि तथा जंघाओं पर विचार किया जाता है।धनु राशि - ये, यो, भा, भी, भू, ध, फ, ढ़, भे सन 2024 ईस्वी धनु राशि- अप्रैल मास में कारोबार सामान्य होगा, आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी,अपने पराक्रम से विशेष लाभ प्राप्त करेंगे , पत्नी पक्ष की चिंता रहेगी । मई मास में कारोबार सामान्य होगा, भाग दौड़ से विशेष लाभ प्राप्त करेंगे, आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी ,पारिवारिक चिंता भी रहेगी तथा यात्रा संभव है। जून मास में कारोबार उत्तम होगा, रुके कार्य बनेंगे, परिश्रम अधिक करना पड़ेगा ,आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी, संतान पक्ष से प्रसन्नता होगी । धनु राशि वालों को शनि ताम्र पाद पर रहेगा जो की सामान्य फल कारक है। धनु राशि वालों को राहु कष्ट कारक तथा केतु चिंता कारक है ।बृहस्पति एक मई से पीड़ा कारक है। पीड़ा कारक ग्रहों की शांति उपचार हेतु ग्रह का जप हवन एवं दक्षिणा सहित दान करना चाहिए।

मकर (Makar)

इसका राशि स्वामी शनि है। यह दक्षिण दिशा की स्वामिनी है। यह राशि स्त्री जाति, पिंगल वर्ण, रात्रिबली, वैश्य वर्ण, पृथ्वी तत्व वाली, शिथिल शरीर तथा वात प्रकृति वाली है। इसका स्वभाव उच्च स्थिति का अभिलाषी है। इसके द्वारा पाँव के घुटनों का विचार किया जाता है।मकर राशि भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी सन 2024 ईस्वी मकर राशि -अप्रैल मास में कारोबार उत्तम होगा ,आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी, स्वभाव में कुछ तेजी रहेगी, रुके कार्य बनेंगे, मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा । मई मास में कारोबार उत्तम होगा, रुके कार्य बनेंगे, संतान पक्ष से प्रसन्नता होगी, आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी, अपने पराक्रम से विशेष लाभ प्राप्त करेंगे । जून मास में कारोबार सामान्य होगा, परिश्रम अधिक करना पड़ेगा ,संपत्ति संबंधी लाभ संभव है, मित्रों से सहयोग प्राप्त नहीं होगा किंतु अपने पराक्रम से विशेष लाभ प्राप्त करेंगे। मकर राशि वालों को शनि रजत पाद पर रहेगा जो की शुभ फल कारक है। मकर राशि वालों को राहु लाभ कारक तथा केतु कष्ट कारक है। 1 मई से बृहस्पति चिंता कारक व पीड़ा कारक है। पीड़ा कारक ग्रहों की शांति उपचार हेतु अपने कुल पुरोहित से ग्रहों का जप हवन एवं दक्षिणा सहित दान करना चाहिए।

 
 

कुंभ (Kumbha)

इसका राशि स्वामी शनि है। यह पश्चिम दिशा की स्वामिनी है। यह राशि पुरुष जाति, विचित्र वर्ण, वायु तत्व वाली, शूद्र वर्ण, त्रिदोष प्रकृति वाली, ऊष्ण स्वभाव, अर्द्धजल, मध्यम संतान वाली, शीर्षोदय, क्रूर तथा दिनबली है। इसका स्वभाव शांत, विचारशील, धार्मिक तथा नवीन वस्तुओं का आविष्कारकर्ता है।कुम्भ राशि - गु,गे,गो,सा,सी,सू,स,सन 2024 ईस्वी कुंभ राशि - अप्रैल मास में कारोबार सामान्य रहेगा ,आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी, रुके कार्य बनेंगे ,संतान पक्ष की चिंता रहेगी , मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा, स्वयं का स्वास्थ्य कुछ विपरीत रह सकता है संपत्ति द्वारा लाभ संभव है । मई मास में कारोबार माध्यम होगा, अपव्यय की अधिकता होगी, संपत्ति द्वारा लाभ संभव है, रुके कार्य बनेंगे , स्थान परिवर्तन या यात्रा भी संभव है ।जून मास में कारोबार सामान्य होगा, आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी कार्यों में सफलता मिलेगी ,संतान पक्ष से प्रसन्नता होगी। कुंभ राशि वालों को शनि स्वर्ण पाद पर रहेगा जो की शुभ फल कारक है। कुंभ राशि वालों को राहु हानिकारक व पीड़ा कारक तथा केतु भी पीड़ा कारक है। बृहस्पति भी पीड़ा कारक है । पीड़ा कारक ग्रहों की शांति उपचार हेतु अपने कुल पुरोहित से ग्रहों का जप हवन एवं दक्षिणा सहित दान करना चाह

 

मीन (Meen)

इसका राशि स्वामी गुरु है। यह उत्तर दिशा की स्वामिनी है। यह राशि स्त्री जाति, पिंगल वर्ण, जल तत्व वाली, ब्राह्मण वर्ण, कफ प्रकृति तथा रात्रिबली है। यह पूर्ण रूप से जल राशि है। इसका स्वभाव दयालु, दानी तथा श्रेष्ठ है। इसके द्वारा पैरों का विचार किया जाता है।मीन राशि - दी,दू,थ,झ,´,दे,दो,चा सन 2024 ईस्वी मीन राशि अप्रैल मास में कारोबार सामान्य होगा, आर्थिक स्थिति सामान्य रहेगी किंतु व्यय की भी अधिकता होनी, मानसिक चिंता बनी रहेगी,पत्नी पक्ष की भी चिंता संभव है । मई मास में कारोबार सामान्य होगा, आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी, मानसिक चिंता भी रहेगी तथा परिश्रम से कार्यों में सफलता मिलेगी। जून मास में कारोबार सामान्य होगा, आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी, रुके कार्य बनेंगे, मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा किंतु मानसिक चिंता रहेगी। मीन राशि वालों को शनि लोह पाद पर रहेगा जो की कष्ट कारक है। मीन राशि वालों को राहु पीड़ा कारक तथा केतु पति-पत्नी के लिए कष्ट कारक है। बृहस्पति 1 मई से पीड़ा कारक है। पीड़ा कारक ग्रहों की शांति उपचार हेतु अपने कुल पुरोहित से ग्रहों का जप हवन एवं दक्षिणा सहित दान करना कुंभ राशि के शनि की साढ़ेसाती तथा ढैया का फल – 17 जनवरी सन 2023 ईस्वी को शनि वृश्चिक के चंद्र के समय कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। अतः मिथुन राशि- वृश्चिक राशि एवं मकर राशियों पर शनि स्वर्ण पाद में रहेगा तथा कर्क राशि- तुला राशि एवं मीन राशि वालों का शनि रजत पाद में रहेगा। वृष राशि – कन्या राशि एवं कुंभ राशि वालों का शनि ताम्र पाद में रहेगा एवं मेष राशि- सिंह राशि एवं धनु राशि वालों का शनि लोह पाद में रहेगा। स्वर्ण पाद का शनि मिश्रित फल देता है। रजत पाद का शनि शुभ फल देता है। ताम्र पाद का शनि भी शुभ फल प्रदान करता है एवं लोह पाद का शनि पीड़ा कारक होता है। कुंभ राशि के शनि के प्रभाव से मकर राशि वालों को उतरती साढ़ेसाती पांव पर रहेगी तथा कुंभ राशि वालों को मध्य की साढ़ेसाती हृदय पर रहेगी तथा मीन राशि वालों को चढ़ती हुई साढ़ेसाती सिर पर रहेगी। कर्क एवं वृश्चिक राशि वालों को शनि की ढैया रहेगी। जैसे कि ऊपर दर्शा चुके हैं कि कर्क राशि वालों को शनि के रजत पाद में होने से ढैया शुभ फल कारक रहेगी तथा वृश्चिक राशि वालों को शनि के स्वर्ण पाद में होने से ढैया मिश्रित फल प्रदान करने वाली रहेगी तथा मकर राशि वालों को उतरती पांंव पर साढ़ेसाती स्वर्ण पाद में होने से मिश्रित फल कारक रहेगी तथा कुंभ राशि वालों को साढ़ेसाती ताम्र पाद में शनि के होने से शुभ फल कारक रहेगी एवं मीन राशि वालों को भी शनि की साढ़ेसाती सिर पर रजत बाद में होने से शुभ फल प्रद रहेगी। वर्षारम्भ से 21 अप्रैल तक गुरु मीन राशि में स्थित रहेगा तथा 22 अप्रैल 2023 को गुरु मेष राशि में प्रवेश करेगा मीन एवं मेष राशि के गुरु का फल विभिन्न राशियों पर निम्न प्रकार से होगा- मीन राशि के बृहस्पति का फल – मेष राशि वालों को मीन राशि का बृहस्पति पीड़ा करने वाला रहेगा एवं वृष राशि वालों को शुभ फल प्रदान करने वाला रहेगा मिथुन राशि वालों को आर्थिक हानि ,कार्य में बाधा करने वाला होगा तथा कर्क राशि वालों के लिए सभी प्रकार से सुख कारक रहेगा I सिंह राशि वालों के लिए मीन राशि का बृहस्पति पीड़ा कारक रहेगा I कन्या राशि वालों को मीन राशि का बृहस्पति हर प्रकार से लाभ प्रदान करने वाला एवं तुला राशि वालों को पीड़ा कारक रहेगा I वृश्चिक राशि वालों के लिए गुरु शुभ फल प्रदान करने वाला रहेगा एवं धनु राशि वालों के लिए भी मीन राशि का बृहस्पति चिंता में वृद्धि करने वाला रहेगा I मकर राशि वालों को मीन राशि का बृहस्पति पीड़ा कारक , रोग वृद्धि करने वाला होगा एवं कुंभ राशि वालों को मीन राशि का बृहस्पति लाभ प्रदान करने वाला रहेगा एवं मीन राशि वालों के लिए मीन राशि का ही की बृहस्पति पीड़ा कारक रहेगा I कुंभ राशि के शनि का फल – राशियों पर कुंभ राशि के शनि का सामान्य फल – मेष राशि वालों को सब पकार से सुख एवं शांति प्रदान करने वाला होगा I वृष राशि वालों को कुंभ राशि का शनि नया कारोबार प्रारंभ कराने वाला , लाभ में वृद्धि करने वाला , मान – सम्मान में भी कमी करने वाला होगा I मिथुन राशि वालों को कुंभ राशि का शनि शत्रु में वृद्धि करने वाला होगा I कर्क राशि वालों को धन हानि , पीड़ा व शत्रु वृद्धि करेगा I सिंह राशि वालों को दूर की यात्रा व मित्रों से लाभ प्रदान करेगा I कन्या राशि वालों के शत्रु परास्त होंगे तथा सुख एवं शान्ति होगी। तुला राशि वालों को संतान पक्ष की चिंता होगी एवं विवाद उत्पन्न होंगे I वृश्चिक राशि वालों को पारिवारिक अशांति रहेगी I धनु राशि वालों को आर्थिक लाभ उत्तम एवं वाहन का लाभ होता है I मकर राशि वालों को अपव्यय व पीड़ा होगी I कुंभ राशि वालों को स्थान परिवर्तन , पीड़ा , पारिवारिक अशांति तथा अपव्यय होगा I मीन राशि वालों को कष्ट एवं अशान्ति तथा अपव्यय होगा। ग्रहों का उपचार राहु की शांति दान हेतु जौ, चित्रा राजमा की दाल, गहथ की दाल, नमक, काला वस्त्र दक्षिणा सहित दान करना चाहिये।राहु की शांति हेतु त्रिगुणित राहु के मंत्र 54000 का योग्य ब्राह्मण से जप करवाना चाहिए तथा दुर्वा की समिधा से हवन कराना लाभप्रद रहता है । 2.केतु की शांति तिल, चित्राराजमा, काला वस्त्र ,एक चाकू एवं लहसुनिया पत्थर दान करें एवं योग्य ब्राह्मण से केतु की शांति के लिए त्रिगुणित 51 हजार जप करवाएं एवं कुशा की समिधा से हवन कराना लाभप्रद रहेगा। 3.बृहस्पति की शांति पीली चने की दाल पीला वस्त्र कांशी की कटोरी में घी पीले पके केले एवं हल्दी दक्षिणा सहित ब्राह्मण को दान करनी चाहिए तथा गुरु की शांति के लिए त्रिगुणित 57000 जप योग्य ब्राह्मण से कराने चाहिए। 4.शनि की शांति शनि की शांति के लिए 69000 शनि के मंत्र का जप कराना चाहिए तथा शनि की समिधा शमी से होम कराना लाभप्रद रहता है । 5.शनि की साढ़े साती व ढ़ैया की षान्ति हेतु महामृत्युंजय के सवा लाख जप तथा शनि के दान व जप कराने चाहिये । काली उड़द, काला वस्त्र, लोहे के छाया पात्र में सरसों का तेल भरकर अपनी छाया देखकर दक्षिणा डालकर दान करें।

 
 

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