शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहता है। जब शनि राशि से बारहवें भाव में शनि प्रवेश करता है उसी समय से साढ़ेसाती प्रारंभ होती है। इस समय साढ़ेसाती मस्तक में कहलाती है । ढाई वर्ष बाद यह राशि में प्रवेश करती है । यह साढ़ेसाती का दूसरा चरण होता है और ह्रदय में कहलाती है तथा चंद्र राशि से द्वितीय स्थान में शनि जब प्रवेश करता है तब साढ़ेसाती का तीसरा चरण प्रारंभ होता है तथा साढ़ेसाती पांव में कहलाती है । इस प्रकार ढाई ढाई वर्ष तीन राशि में भ्रमण से साडे सात वर्ष होते हैं । जब जन्म राशि से दूसरी राशि में शनि प्रवेश करता है तब साढ़ेसाती समाप्त होती है। यदि जन्म का शनि अच्छी स्थिति का हो तो साढ़ेसाती ज्यादा परेशान नहीं करती किंतु जन्म कुंडली में शनि यदि नीच राशि या शत्रु राशि या अशुभ ग्रहों से युक्त हो तो साढ़ेसाती कष्ट करने वाली होती है। यदि जातक की मेष राशि हो तो पहले ढाई वर्ष शुभ मध्य के अशुभ तथा अंत के ढाई वर्ष शुभ होते हैं । वृष राशि वालों के लिए आरंभ के ढाई वर्ष अशुभ मध्य के ढाई वर्ष शुभ तथा अंत के ढाई वर्ष भी शुभ होते हैं । मिथुन राशि वालों के लिए आरंभ के ढाई वर्ष शुभ मध्य के अनुकूल एवं अंत के ढाई वर्ष सामान्य फल देते हैं । कर्क राशि वालों को आरंभ के ढाई वर्ष शुभ मध्य के मिश्रित फल वाले एवं अंत के ढाई वर्ष अशुभ होते हैं। सिंह राशि वालों को आरंभ के 5 वर्ष अशुभ एवं अंत के ढाई वर्ष शुभ होते हैं । कन्या राशि वालों को आरंभ के ढाई वर्ष अशुभ एवं शेष 5 वर्ष शुभ होते हैं । तुला राशि वालों को आरंभ के 5 वर्ष शुभ तथा अंत के ढाई वर्ष अशुभ होते हैं । वृश्चिक राशि वालों को आरंभ के ढाई वर्ष श्रेष्ठ, मध्य के ढाई वर्ष अशुभ तथा अंत के ढाई वर्ष सामान्य फल देते हैं। धनु राशि वालों को आरंभ के ढाई वर्ष अशुभ,मध्य के ढाई वर्ष शुभ तथा अंत के ढाई वर्ष सामान्य फल देते हैं। मकर राशि वालों को आरंभ के ढाई वर्ष शुभ मध्य के ढाई वर्ष सामान्य तथा अंत के ढाई वर्ष श्रेष्ठ फल देते हैं । कुंभ राशि वालों को आरंभ के ढाई वर्ष सामान्य तथा शेष 5 वर्ष शुभ फलदाई होते हैं । मीन राशि वालों को आरंभ के 5 वर्ष शुभ एवं शेष ढाई वर्ष अशुभ होते हैं ।साढ़ेसाती के प्रभाव का आंंकलन करने के साथ ही यह भी देखना चाहिए कि जातक की विंशोत्तरी दशा कैसी चल रही है ? यदि विंशोत्तरी दशा शुभ फल प्रदान करने वाली चल रही है तो वह साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव को भी कम करती है एवं यदि विंशोत्तरी दशा भी अशुभ फल कारी है तो साढ़ेसाती ज्यादा कष्टप्रद होती है। इसका विचार साढ़ेसाती के प्रभाव को देखने में करना नितांत आवश्यक है । मात्र साढ़ेसाती कह देने से की शनि अशुभ है साढ़ेसाती के वास्तविक फल का ज्ञान नहीं होता है।
ग्रहों का उपचार राहु की शांति दान हेतु जौ, चित्रा राजमा की दाल, गहथ की दाल, नमक, काला वस्त्र दक्षिणा सहित दान करना चाहिये।राहु की शांति हेतु त्रिगुणित राहु के मंत्र 54000 का योग्य ब्राह्मण से जप करवाना चाहिए तथा दुर्वा की समिधा से हवन कराना लाभप्रद रहता है । 2.केतु की शांति तिल, चित्राराजमा, काला वस्त्र ,एक चाकू एवं लहसुनिया पत्थर दान करें एवं योग्य ब्राह्मण से केतु की शांति के लिए त्रिगुणित 51 हजार जप करवाएं एवं कुशा की समिधा से हवन कराना लाभप्रद रहेगा। 3.बृहस्पति की शांति पीली चने की दाल पीला वस्त्र कांशी की कटोरी में घी पीले पके केले एवं हल्दी दक्षिणा सहित ब्राह्मण को दान करनी चाहिए तथा गुरु की शांति के लिए त्रिगुणित 57000 जप योग्य ब्राह्मण से कराने चाहिए। 4.शनि की शांति शनि की शांति के लिए 69000 शनि के मंत्र का जप कराना चाहिए तथा शनि की समिधा शमी से होम कराना लाभप्रद रहता है । 5.शनि की साढ़े साती व ढ़ैया की षान्ति हेतु महामृत्युंजय के सवा लाख जप तथा शनि के दान व जप कराने चाहिये । काली उड़द, काला वस्त्र, लोहे के छाया पात्र में सरसों का तेल भरकर अपनी छाया देखकर दक्षिणा डालकर दान करें।
29 मार्च सन 2025 को शनि मीन राशि में प्रवेश करेगा। शनि के राशि परिवर्तन के समय में चंद्रमा मीन राशि में है। पूरे वर्ष संवत् 2082 में शनि मीन राशि में ही संचार करेगा। मीन राशि के शनि की साढेसाती एवं ढैय्या का फल इस प्रकार है- मेष राशि वालों को लोहे के पाये में मस्तक पर चढ़ती साढ़ेसाती होने से कष्ट, अशांति एवं व्यय की अधिकता होगी तथा मान सम्मान में भी कमी होगी। सिंह राशि वालों को शनि की ढैय्या लोहे के पाद में होने से कष्ट ,अशांति ,व्यय की अधिकता एवं मान सम्मान में कमी होगी। धनु राशि - धनु राशि वालों को शनि की ढैय्या लोहे के पाद में होने से कष्ट ,अशांति एवं अपव्यय होगा तथा मान सम्मान में कमी होगी। कुंभ राशि वालों को चांदी के पाये में उतरती साढेसाती होने से मान - सम्मान में वृद्धि ,धन लाभ ,कारोबार का विस्तार ,सुख - शांति होगी। मीन राशि वालों को साढ़ेसाती सोने के पाये में हृदय में होने से मान - सम्मान में वृद्धि ,धन लाभ ,कारोबार का विस्तार ,मंगल कार्य होंगें।
- मेष राशि - मेष राशि वालों को आर्थिक रूप से लाभप्रद रहेगा तथा कारोबार में वृद्धि होगी , मानसिक प्रसन्नता रहेगी , रुके कार्य बनेंगें , मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा। वृष राशि - वृष राशि वालों को अपव्यय की अधिकता होगी , अनावश्यक विवाद होगा , मित्रों से सहयोग प्राप्त नहीं होगा , कार्यों में बाधा होगी , कारोबार में कमी होगी। मिथुन राशि - मिथुन राशि वालों को परिश्रम अधिक फल अल्प मिलेगा तथा व्यय की अधिकता होगी , कार्यों में बाधा उत्पन्न होगी , मित्रों से सहयोग प्राप्त नहीं होगा। कर्क राशि - कर्क राशि वालों को राहु के राशि से अष्टम स्थान में होने से स्वास्थ्य संबंधी चिंता होगी , विशेषकर उदर विकार होगा , धन का अपव्यय भी होगा तथा कार्यों में बाधा उत्पन्न होगी , आय में कमी होगी।
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- जिन राशि वालों के लिए राहु पीड़ा कारक लिखा गया है उन्हें चाहिए कि राहु के मंत्र का 3 गुणा अर्थात 54000 मंत्र का जाप कराएं एवं दशांश हवन कराएं जिसमें कि दूर्वा को समिधा के रूप में प्रयोग किया जाए तो वह राहु के कुप्रभाव को शांत करेगा।
हम सभी जानते है की वैदिक ज्योतिष का सम्बन्ध १२ घर १२ राशियाँ और नौ ग्रहों से है, जानने की कोशिश करते है की ज्योतिष किन सिद्धांतो पर कार्य करता है और इसके पीछे छिपे क्या तथ्य है तथा लाखों लोग इस विज्ञानं से किस प्रकार जुड़े हुए है ! ज्योतिष एक ऐसी कार्य प्रणली है जिसके द्वारा मनुष्यों को अपने पिछले जन्मो के कर्मो का फल प्राप्त होता है ! अच्छे कर्मो का अच्छा फल तथा बुरे कर्मो का बुरा फल ! मान लो यदि आपने अपने पिछले जन्म में अच्छे कर्म किये है तो इस जन्म में आप एक सुखी जीवन व्यतीत करेंगे ! कम परिश्रम से भी अधिक फल की प्राप्ति करेंगे, परन्तु यदि आपने यदि अपने पिछले जन्म में सिर्फ बुरे ही बुरे कर्म किये है तो अगला जन्म आपके बुरे कर्मो का फल देगा ! पूरा जीवन दुःख और परेशानियों से भरा और अधिक से अधिक महनत करने पर भी फल की प्रति नहीं होगी ! और यही कारण है की लाखों लोग जीवन भर संघर्ष करने पर भी कुछ प्राप्त नहीं कर पाते और दूसरी तरफ कम परिश्रमी लोग अपने जीवन में बैठे बीठाय बहुत कुछ हांसिल कर लेते है
तो क्या ऐसा और कोई जरिया नहीं है जिसके द्वारा हम अपने पिछले जन्मों के कर्मो का पश्चताप कर सके और इस जीवन को सुखी कर सके ? जी हाँ यही पर वैदिक ज्योतिष अपनी भूमिका निभाता है, किसी भी जातक की कुंडली में हर एक गृह का अपना कार्य निर्धरित होता है , मान लो यदि गृह द्वारा आपको जीवन में तरक्की प्राप्त होनी है तो उस गृह को आपके लिए यह करना होगा, और यदि किसी गृह के द्वारा आपको जीवन में कष्ट दिए जाने है तो वह कष्ट अवश्य देगा ! हर गृह के द्वारा दिया जाने वाला फल आपके पिछले जन्म के कर्मो द्वारा पूर्व निर्धारित हो जाता है ! आप इन ग्रहों के उचित पूजा पाठ, दान और उपायों द्वारा इनसे मिलने वाले कष्टों में कमी ला सकते है और इन ग्रहों के रत्नों द्वारा इनसे प्राप्त होने वाले शुभ फलों में वृद्धि कर अधिक लाभ उठा सकते है !
इसका राशि स्वामी मंगल है तथा यह राशि पूर्व दिशा की स्वामिनी है। यह राशि पुरुष-जाति, लाल-पीले वर्ग, वर्ण कांतिहीन, क्षत्रिय वर्ण, अग्नि तत्व वाली, चर संज्ञक समान अंगों वाली, अल्प सन्ततिवान तथा पित्त प्रकृति कारक है। इसका स्वभाव अहंकारी, साहसी तथा मित्रों के प्रति दयालुता का है। इसके द्वारा मस्तक का विचार किया जाता है।
नाम का प्रथम अक्षर जिस राशि के आगे लिखा हो वही राशि होती है एवं उसके आगे लिखा राशिफल सामान्यतया मिलता है । सूक्ष्म फलित विचार जन्म समय के आधार पर निकाली गई दशांओं से करवाना चाहिय
े । द्वादश राशि फल एवं शनि की साढे़ साती-ढ़ैया का फल )
नाम का प्रथम अक्षर जिस राशि के आगे लिखा हो वही राशि होती है एवं उसके आगे लिखा राशिफल सामान्यतया मिलता है । सूक्ष्म फलित विचार जन्म समय के आधार पर निकाली गई दशाओं से करवाना चाहिये ।
सन 2025 का राशिफल-
मेष राशि - चू,चे,चो,ला,ली,लू,ले,लो,अ - सन 2025 ईस्वी
मेष राशि मेष राशि - जनवरी में स्वास्थ्य संबंधी चिंता रह सकती है, आर्थिक दृष्टि से समय अनुकूल है ,संतान पक्ष की चिंता रहेगी ,राज्य पक्ष से लाभ संभव है। स्त्री पक्ष से लाभ होगा, कारोबार के विस्तार की संभावना है । फरवरी मास में कारोबार उत्तम होगा ,आर्थिक लाभ की दृष्टि से शुभ फल कारक है, पारिवारिक वातावरण प्रसन्नता का रहेगा ,अपने पराक्रम से विशेष लाभ प्राप्त करेंगें, मित्रों से भी सहयोग प्राप्त होगा । मार्च मास में यद्यपि कारोबार की दृष्टि से समय अनुकूल है किंतु इस अवधि में स्वास्थ्य कुछ विपरीत रह सकता है तथा अपव्यय की अधिकता होगी, मानसिक चिंता भी इस अवधि में रहेगी।
मेष राशि - अप्रैल मास में आर्थिक स्थिति सामान्य रहेगी किंतु व्यय की अधिकता भी होगी तथा कारोबार मध्यम रहेगा, संतान पक्ष से प्रसन्नता होगी,पारिवारिक समस्याएं भी बनी रहेंगीं, स्वास्थ्य साधारण विपरीत रह सकता है, पत्नी पक्ष से प्रसन्नता होगी, प्रयासों से कार्यों में सफलता मिलेगी । मई मास में कारोबार सामान्य रहेगा, आर्थिक स्थिति उत्तम रहेगी, रुके कार्य बनेंगें, यात्राओं से लाभ संभव है, पारिवारिक प्रसन्नता रहेगी। जून मास में मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा, कार्यों में सफलता मिलेगी, आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी, संतान पक्ष की चिंता रहेगी, पत्नी पक्ष से प्रसन्नता होगी, दौड़ भाग से विशेष लाभ होगा ।
मेष राशि जुलाई मास में कारोबार सामान्य रहेगा ,आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी ,रुके कार्य बनेंगें, मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा, संतान पक्ष की चिंता रहेगी, स्वयं के स्वभाव में कुछ तेजी भी इस अवधि भी रहेगी। अगस्त मास में कारोबार सामान्य रहेगा ,आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी ,संतान पक्ष से प्रसन्नता होगी, शत्रु पराजित होंगें, मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा।
मेष राशि सितंबर मास में कारोबार सामान्य रहेगा, रुके कार्य बनेंगें, मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा ,आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी, इस अवधि में पारिवारिक चिंता रहेगी, स्वभाव में कुछ तेजी भी इस अवधि में रहेगी। अक्टूबर मास में पारिवारिक चिंता रहेगी ,आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी, मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा, दौड़ - भाग से लाभ होगा, स्वयं के स्वभाव में भी कुछ तेजी भी इस अवधि में रहेगी। नवंबर मास में स्वयं का स्वास्थ्य विपरीत रहेगा, रुके कार्य बनेंगें, पारिवारिक प्रसन्नता होगी , कार्य क्षेत्र सामान्य रहेगा, इस अवधि में मित्रों का सहयोग प्राप्त नहीं होगा किंतु आर्थिक दृष्टि से समय अनुकूल रहेगा।मेष राशि दिसंबर 2025 में कार्यों में परिश्रम अधिक करने पर ही सफलता मिलेगी किंतु अकस्मात् विशेष आर्थिक लाभ संभव है। कार्यक्षेत्र का विस्तार भी इस अवधि में संभव है। संतान पक्ष की चिंता रहेगी। जनवरी 2026 में कारोबार उत्तम रहेगा। रुके कार्य बनेंगें, राज्य पक्ष से भी इस अवधि में लाभ संभव है।शत्रु पराजित होंगें। कारोबार का विस्तार भी इस अवधि में संभव है।
तुला राशि तुला राशि - जनवरी मास में कारोबार सामान्य होगा , आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी , मान प्रतिष्ठा में कुछ कमी आएगी , यात्रा की संभावना है या स्थान परिवर्तन संभव है , संपत्ति द्वारा भी लाभ संभव है। फरवरी मास में आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी , कार्यों में कुछ बाधा उत्पन्न होगी , मित्रों से सहयोग प्राप्त नहीं होगा , संतान पक्ष की चिंता रहेगी । मार्च में शत्रु बाधा उत्पन्न करेंगें, कारोबार मध्यम होगा , आर्थिक स्थिति मध्य होगी, मानसिक चिंता इस अवधि में बनी रहेगी , साधारण उदर विकार एवं स्वास्थ्य संबंधी चिंता भी इस अवधि में रहेगी।
तुला राशि - अप्रैल मास में कारोबार सामान्य रहेगा, आर्थिक स्थिति मध्यम रहेगी, स्वास्थ्य साधारण विपरीत रह सकता है , अपने पराक्रम से विशेष लाभ प्राप्त कर सकते हैं, राज्य पक्ष से लाभ प्राप्त होना संभव है, संतान पक्ष की चिंता रहेगी । मई मास में कारोबार मध्यम होगा, आर्थिक स्थिति मध्यम होगी , स्वास्थ्य साधारण विपरीत रह सकता है , दौड़ - भाग से लाभ प्राप्त होगा । जून मास में रुके कार्य बनेंगें, आर्थिक स्थिति अनुकूल होगी, मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा , संतान पक्ष की चिंता रहेगी,
तुला राशि जुलाई मास में कारोबार उत्तम होगा ,आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी, मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा, पत्नी पक्ष से प्रसन्नता होगी, संतान पक्ष की चिंता रहेगी ।अगस्त मास में कारोबार उत्तम होगा, कार्यक्षेत्र का विस्तार संभव है, यात्राओं द्वारा लाभ संभव है ,शत्रु पराजित होंगें, मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा, पत्नी पक्ष की चिंता रहेगी।
तुला राशि सितंबर मास में आर्थिक लाभ उत्तम होगा, कारोबार की वृद्धि होगी, दौड़ भाग से विशेष लाभ प्राप्त होगा, संपत्ति संबंधी विवाद संभव है, मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा, कुछ पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। अक्टूबर मास में कारोबार उत्तम होगा, आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी , स्वभाव में कुछ तेजी भी रहेगी, संतान पक्ष की चिंता रहेगी, मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा, मान प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। नवंबर मास में कारोबार उत्तम होगा, आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी, प्रयासों से कारोबार का विस्तार होगा, पारिवारिक चिंता बनी रहेगी,पत्नी पक्ष से प्रसन्नता संभव है ।
तुला (Tula)
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